Class-7 (रुचिरा) सप्तमः पाठः सङ्कल्पः सिद्धिदायकः NCERT books/ CBSE Syllabus
सप्तमः
पाठः
सङ्कल्पः
सिद्धिदायकः
शब्दार्थाः
पतिरूपेण |
पति के रूप में |
as
husband |
एतदर्थम्
(एतद्+अर्थम्) |
इसके लिये |
for
this |
अवाञ्छत् |
चाहती थी |
desired |
मात्रे |
माता से |
to
mother |
चिन्ताकुला |
चिन्ता से परेशान |
perturbed
by anxiety |
मनीषिता |
चाहा गया, इच्छित |
desired |
तादृषः |
वैसा |
like |
अभिलाषः |
इच्छा |
desire |
तपसा |
तपस्या से |
by
penance |
प्राप्स्यामि |
प्राप्त करूँगी |
will
get |
जीवनाभिलाषः(जीवन+अभिलाषः)
|
जीवन की चाह |
life’s
desire |
आकुलितम् |
परेशान |
desperate |
साकम् |
साथ |
with |
निष्क्रामति |
निकल जाती है |
goes
out, exists |
मनसा |
मन से |
by
heart/mind |
वचसा |
वचन
से |
by
word |
कर्मणा |
कर्म से |
by
act |
तपति
स्म |
तपस्या करती थी |
performed
penance |
स्थण्डिले |
नंगी भूमि पर |
on
barren field |
शिलायाम् |
चटृान पर |
on
rock |
स्वपिति
स्म |
सोती थी |
slept
(look rest) |
तपः
प्रभावात् |
तपस्या के प्रभाव से |
because
pf penance |
अतपः |
तपस्या की |
performed
penance |
अगतिः |
गतिहीनता |
absence
of movement |
अधीतवती |
पढ़ ली |
studied |
सम्पादितवती |
सम्पन्न किया |
performed |
प्रथिता |
प्रसिद्ध हो गयी |
became
famous |
आतुरहृदये |
हे व्याकुल हृदयवाली |
agitated
one |
नेपथ्ये |
परदे के पीछे |
from
backstage |
आश्रमवटुः |
आश्रम का ब्रह्मचारी |
pupil
from hermitage |
झटिति |
जल्दी से |
quickly |
क्रियार्थम् |
तप के लिये |
for
penance |
पूजोपकरणम्
(पूजा+उपकरणम्) |
पूजा की सामग्री |
means
for worship |
सुलभम् |
आसानी से प्राप्त |
easily
available |
धर्मसाधनम् |
धर्म का साधन |
means
of religious work |
तुष्णीम् |
चुप |
silent |
आकुलीभूय |
परेशान होकर |
being
disturbed |
उपहसति |
उपहास करता है |
makes
fun |
अन्यथा |
अन्य प्रकार से |
otherwise |
श्मशाने |
श्मशान
में |
in
the cremation ground |
अड़्गरागः
|
अड़्गलेप |
anointment |
परिजनाः |
मित्र गण |
friends |
भूतगणाः |
भूतों की टोली |
hosts
of ghosts |
वाचाल |
बड़बोला |
babbler |
अपसर |
दूर हट |
keep
away |
यथार्थम् |
वास्तविक |
true/real |
पापभाग् |
पापी |
sinful |
पृष्ठतः |
पीछे से |
from
behind |
परित्यज्य |
छोड़कर |
after
leaving |
कम्पते |
काँपती है |
trembles |
प्रीतः |
प्रसन्न |
pleased |
सङ्कल्पेन |
सङ्कल्पेन से |
with
firm desire |
अद्यप्रभृति |
आज से |
from
today |
क्रीतदासः |
खरीदा हुआ नौकर |
a
slave |
विनतानना |
नीचे की ओर मुँह की हुई |
keeping
downward face |
विहसति |
मुस्कुराती है |
smiles |
अभ्यासः
1- उच्चारणं कुरुत-
अभवत् |
अकथयत् |
अगच्छत् |
न्यवेदयत् |
अपूजयत् |
स्वपिति |
तपति |
प्राविशत् |
अवदत् |
वदति
स्म |
वसति स्म |
रक्षति स्म |
व्दति |
चरति स्म |
करोति स्म |
गच्छति
स्म |
अकरोत् |
पठति स्म |
2- उदाहरणम् अनुसृत्य
रिक्तस्थानानि पूरयत-
क- एकवचनम्- द्विवचनम्-बहुवचनम्
यथा- वसति स्म- वसतःस्म- वसन्तिस्म
पूजयति स्म |
पूजयतः
स्म |
पूजयन्ति
स्म |
रक्षति
स्म |
रक्षतः स्म |
रक्षन्ति स्म |
चरति
स्म |
चरतः स्म |
चरन्ति
स्म |
क्रोति |
कुस्तः |
कुर्वन्ति स्म |
ख- पुरुषः- एकवचनम्- बहुवचनम्
यथा- प्रथमपुरुषः- अकथयत्-अकथयताम्-अकथयन्
प्रथमपुरुषः |
अपूजयते |
अपूजयताम् |
अपूजयन् |
प्रथमपुरुषः |
अरक्षत् |
अरक्षताम् |
अरक्षन् |
ग- पुरुषः- एकवचनम्- द्विवचनम्- बहुवचनम्
यथा- मध्यमपुरुषः- अवसः-अवसतम् -अवसत
मध्यमपुरुषः |
अपूजयः |
अपूजयतम् |
अपूजयत |
मध्यमपुरुषः |
अचरः |
अचरतम् |
अचरत |
घ- पुरुषः- एकवचनम्- द्विवचनम्- बहुवचनम्
यथा- उत्तमपुरुषः-अपठम्- अपठाव- अपठाम
उत्तमपुरुषः |
अलिखम् |
अलिखाव |
अलिखाम |
उततमपुरुषः |
अरचयम् |
अरचयाव |
अरचयाम |
3- प्रश्नानानाम् उत्तराणि
लिखत-
क- तपः प्रभावात् के सखायः जाताः?
उत्तर-तपः प्रभावात् हिंस्त्रपश्वोऽपि
सखायः जाताः।
ख- पार्वती तपस्यार्थं कुत्र अगचछत्?
उत्तर- पार्वती तपस्यार्थं गौरीशिखरं
अगच्छत्।
ग- कः श्मशाने वसति?
उत्तर- शिवः श्मशाने वसति।
घ- शिवनिन्दां श्रुत्वा का क्रुद्धा जाता?
उत्तर- शिवनिंदा श्रुत्वा पार्वती कुद्धा
जाता।
ड- वटुरूपेण तपोवनं कः प्राविशत्?
उत्तर-वटुरूपेण तपोवनं शिवः प्रविशत्।
4- कः/का कं/कां प्रति
कथयति- कः/का - कम्/काम्
यथा- वत्से! त्पः कठिनं भवति?
माता -पार्वतीम्
|
कः/का |
कम्
/ काम् |
|
क |
अहं तपः एव चरिष्यामि। |
पार्वती |
मातभ्य् |
ख |
मनस्वी कदापि धैर्यं न परित्यजति। |
पार्वती |
विजयाम् |
ग |
अपर्णा इति नाम्ना त्वं प्रथिता। |
विजया |
पार्वतीम् |
घ |
पार्वति! प्रीतोऽस्मि तव संड.कल्पेन। |
शिवः |
पार्वतीम् |
ड |
ष्षरीरमाद्यां खलु धर्मसाधनम्। |
वटुरूपधारीशिवः |
पार्वतीम् |
च् |
अहं तव क्रीतदासोऽस्मि। |
शिवः |
पार्वतीम् |
5-प्रश्नानाम् उत्तराणि
लिखत-
क- पार्वती क्रुद्धा सती किम् अवदत्?
उत्तर- जगति न कोऽपि शिवस्य यथार्थ स्वरूपं
जानाति।
ख-कः पापभाग् भवति?
उत्तर- यः शृणोति सोऽपि पापभाग् भवति।
ग-पार्वती किं कर्त्तुम् ऐच्छत्?
उत्तर- पार्वती तपस्यां कर्त्तुम् ऐच्छत्।
घ- पार्वती कया साकं गौरीशिखरं गच्छति?
उत्तर- पार्वती विजया साकं गौरीशिखरं
गच्छति।
6- म्ञ्जूषातः पदानि चित्वा
समानार्थकानि पदानि लिखत-
मता, मौनम्, प्रस्तरे, जन्तवः, नयनानि |
शिलायां-प्रस्तरे
पशवः- जन्तवः
अम्बा- माता
नेत्राणि-नयनानि
तूष्णीम्-मौनम्
7- उदाहरणानुसारं पदरचनां कुरुत-
यथा-वसति स्म- अवसत्
क |
पश्यति स्म |
अपश्यत् |
ख |
तपति स्म |
अतपत् |
ग |
चिन्तयति स्म |
अचिन्तयत् |
घ |
वदति स्म |
अवदत् |
ड |
गच्छति स्म |
अगच्छत् |
यथा- अलिखत्- लिखति स्म।
क |
अकथयत् |
कथयति स्म। |
ख |
अनयत् |
नयति स्म। |
ग |
अपठत् |
पठति स्म। |
घ |
अधावत् |
धावति
स्म। |
ड |
अहसत् |
हसति स्म। |
ध्यातव्यम् |
‘स्म’
इत्यस्य प्रयोगः। यदा
वर्तमानकालिकैः धातुभिः सह ‘स्म’ इत्यस्य प्रयोगः भवति तदा ते घातवः
भूतकालिकक्रियाणाम् अर्थ प्रकटयन्ति। यथा-
पठति स्म- पढ़ता था। गच्छति
स्म- जाता था। पञ्चाग्निव्रतम्-
चतसृषु दिक्षु अग्निम् आधाय सूर्यस्य निर्निमेषदर्शनं पञ्चाग्निव्रतम्। अपर्णा-
तपस्याक्रमे पर्णानामपि भक्षणं पार्वती त्यक्तवतो अतः सा अपर्णा नाम्ना
प्रसिद्धा। |
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