Class-7 (रुचिरा)द्वादशः पाठः - विद्याधनम् NCERT books/ CBSE Syllabus
द्वादशः
पाठः
विद्याधनम्
शब्दार्थाः
चैरहार्यम् |
चोरो के द्वारा चुराने योग्य |
to
be stolen by a thief |
राजहार्यम् |
राजा के द्वारा छीनने योग्य |
to
be attacked by a king |
भ्रातृभाज्यम् |
भाइयों के द्वारा बाँटने योग्य |
to
be divided among brothers |
भारकारि |
भार बढ़ाने वाली |
burden |
प्रच्छन्नगुप्तम् |
अत्यन्त गुप्त |
hidden |
भोगकरी |
भोग का साधन उपलब्ध कराने वाली |
giving
objects of pleasure |
परा |
सबसे बड़ी |
the
greatest |
राजसु |
राजाओ में |
among
king |
केयूराः |
बाजूबन्द |
bracelets |
चन्द्रोज्जवला
(चन्द्र+उज्जवला) |
चन्द्रमा के समान चमकदार |
as
bright as the moon |
विलेपनम् |
शरीर
पर लेप करने योग्य सुगन्धित द्रव्य (चन्दन, केसर आदि) |
anointing |
नालङ्कृता (न+अलङ्कृता)
|
नहीं सजाया हुआ |
undecorated |
मूर्धजाः |
वेणी चोटी |
plait
(hair) |
वण्येका
(वाणी+एका) |
एकमात्र
वाणी |
speech
alone |
समलङ्करोति
|
अचछी तरह सुशोभित करती है |
decorates |
संस्कृता |
संस्कारयुक्त (परिष्कृत) |
well
cultured |
धार्यते |
धारण की जाती है |
is
born |
क्षीयन्तेऽखिलभूषणानि
(क्षीयन्ते+अखिलभूषणानि) |
सम्पूर्ण आभूषण नष्ट हो जाते हैं |
all
ornaments perish |
भाग्यक्षये |
अच्छे दिन बीत जाने पर |
when
good days end |
आश्रयः |
सहारा |
helper |
कामदुघा
|
इचछानुसार फल देने वाली |
yielding
all desired objects |
सत्कारायतनम् |
सम्मान का केन्द्र या समूह |
storehouse
of respects |
रत्नैर्विना |
रत्नों से रहित |
without
Jewells |
विद्याधिकारम् |
विद्या पर अधिकार |
mastery
over learning |
तस्मादन्यमुपेक्ष्य
(तस्मात्+अन्यम+उपेक्ष्य) |
अतः दूसरे सबको छोड़कर |
therefore
giving up others |
अभ्यासः
1- उपयुक्तकथनानां समक्षम्
‘आम्’, अनुपयुक्तकथनानां समक्षं ‘न’ इति लिखत-
क- विद्या राजसु पूज्यते। आम्
ख- वाग्यभूषणं भूषणं न। न
ग- विद्याधनं सर्वधनेषु प्रधानम्। आम्
घ- विदेशगमने विद्या बन्धुजनः न भवति। न
ड- सर्वं विहाय विद्याधिकारं कुरु। आम्
2- अधोलिखितानां पदानां लिङ्गं, विभक्तिं वचनञ्च लिखत-
पदानि |
लिङ्गं |
विभक्तिः |
वचनम् |
नरस्य |
पुल्लिङ्ग
|
षष्ठी |
एकवचन |
गुरूणाम् |
पुल्लिङ्ग |
षष्ठी |
बहुवचन |
केयूराः |
नपुसकलिङ्ग |
प्रथमा |
बहुवचन |
कीर्तिम् |
स्त्रीलिङ्ग |
द्वितीया |
एकवचन |
भूषणानि |
नपुसकलिङ्ग
|
प्रथमा |
बहुवचन |
3- श्लोकांशान् योजयत-
क |
ख |
उत्तरम् |
विद्या
राजसु पूज्यते न हि धनम् |
हारा न चन्द्राज्जवलाः। |
विद्या विहीनः पशुः। |
केयूराः
न विभूषयन्ति पुरुषम् |
न भ्रातृभाज्यं न च भारकारि। |
हारा न चन्द्रोज्जवलाः। |
न
चैरहार्यं न च राजहार्यम् |
या संस्कृता धार्यते। |
न भ्रातृभाज्यं न च भारकारि। |
सत्कारायतनं
कुलस्य महिमा |
विद्या-विहीनः
पशुः। |
रत्नैर्विना
भूषणम |
वाण्येका
समलङ्करोति पुरुषम् |
रत्नैर्विना भूषणम् |
या
संस्कृता धार्यते। |
4- एकपदेन प्रश्नानाम्
उत्तराणि लिखत-
क- कः पशुः?
उत्तर- विद्या-विहीनः।
ख- का भोगकरी?
उत्तर- विद्या
ग- के पुरुषं न विभूषयन्ति?
उत्तर- केयूराः
घ- का एका पुरुषं समलङ्करोति?
उत्तर- वाणी
ड-कानि क्षीयन्ते?
उत्तर- अखिलभूषणानि
5- रेखांकित अधिकृत्य प्रश्ननिर्माणं
कुरुत-
क- विद्याविहीनः नरः पशुः अस्ति।
-
विद्याविहीनः कः पशुः अस्ति?
ख- विद्या राजसु पूज्यते।
-
का राजसु पूज्यते?
ग- चन्द्राज्जवलाः हाराः पुरुषं न अलङ्कुर्वन्ति
।
-
चन्द्रोज्जवलाः पुरुषं नं अलङ्कुर्वन्ति ?
घ- पिता हिते नियुङ्क्ते ।
-
कः हिते नियुङ्क्ते ?
ड- विद्याधनं सर्वप्रधानं धनमसित।
- विद्याधनं कथं धनमस्ति?
च- विद्या दिक्षु कीर्तिं तनोति।
-विद्या केषु कीर्तिं तनोति?
6- पूर्णवाक्येन प्रश्नानाम्
उत्तराणि लिखत-
क- गुरुणां गुरुः का अस्ति?
उत्तर- गुरुणां गुरुः विद्या अस्ति।
ख- कीदृषी वाणी पुरुषं समलङ्करोति?
उत्तर- संस्कृतः वाणीः पुरुषं समलङ्करोति।
ग- व्यये कृते किं वर्धते?
उत्तर- व्यये कृते विद्याधनं वर्धते।
घ- भाग्यक्षये आश्रयः कः?
उत्तर- भाग्यक्षये आश्रयः विद्या अस्ति।
7- मञ्जूषातः पुँल्लिङ्ग – स्त्रीलिङ्ग
- नपुसकलिङ्गपदानि चित्वा लिखत-
विद्या, धनम्,
संस्कृता, कुसुमम्, मूर्धजाः,
पशुः, गुरुः, रतिः |
पुँल्लिङ्ग
|
स्त्रीलिङ्ग |
नपुसकलिङ्गम् |
हाराः |
अलड.कता |
भूषणम् |
पशुः |
विद्या |
धनम् |
गुरुः |
संस्कृता |
सततम् |
|
रतिः
|
कुसुमम् |
|
|
मूर्धजाः |
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