Grade-8, Hindi, हिन्दी पाठमाला, गिरिधर की कुंडलियाँ

 

 

1)

 बिना बिचारे जो करे, सो पाछे पछिताय । 

काम बिगारै आपनो, जग में होत हँसाय ।।

जग में होत हँसाय, चित्त में. चैन न पावै।

खान-पान सनमान, राग-रंग मनहिं न भावै।।

कह गिरिधर कविराय, दुख कछु टरत न टारे। 

खटकत है जिय माहिं, कियो जो बिना बिचारे ।।


(2)

 

बीती ताहि बिसारि दे, आगे की सुधि लेइ। 

जो बनि आवै सहज में, ताही में चित्त देइ।। 

ताही में चित्त देइ, बात जोई बनि आवै। 

दुरजन हँसे न कोइ, चित्त में खता न पावै ।। 

कह गिरिधर कविराय, यहै करुमन परतीती। 

आगे को सुख समुझि हो, बीती सो बीती ।।


(3)

 

दौलत पाय न कीजै, सपने हू अभिमान। 

चंचल जल दिन चारि को, ठाउँ न रहत निदान ।। 

ठाउँ न रहत निदान, जियत जग में जस लीजै। 

मीठे वचन सुनाय, विनय सबही की कीजै ।। 

कह गिरिधर कविराय, अरे यह सब घट तौलत। 

पाहुन निसि दिन चारि, रहत सबही के दौलत ।।


(4)

 

साईं अपने चित्त की, भूलि न कहिए कोइ।

तब लग मन में राखिए, जब लग कारज होइ।।

जब लग कारज होइ, भूलि कबहुँ नहिं कहिए।

दुरजन हँसे न कोइ, आप सियरे हवै रहिए।। 

कह गिरिधर कविराय, बात चतुरन की ताईं। 

करतूती कहि देत, आप कहिए नहि साईं ।। 


(5)

 

गुन के गाहक सहस नर, बिनु गुन लहै न कोय। 

जैसे कागा कोकिला, सबद सुनै सब कोय।। 

सबद सुनै सब कोय, कोकिला सबै सुहावन। 

दोऊ को इक रंग, काग सब भए अपावन ।। 

कह गिरिधर कविराय, सुनो हो ठाकुर मन के। 

बिनु गुन लहै न कोय, सहस नर गाहक गुन के।।


इन कुंडलियों के माध्यम से कवि गिरिधर हमें जीवन जीने का सही मार्ग दिखाते हैं। उन्होंने हमें बताया है कि हमें ईमानदार, विनम्र और सदाचारी बनना चाहिए।

 

- कवि गिरिधर

 

अभ्यास

 

बात कविता की

 

मौखिक (Oral Expression)

 

1. किसे बाद में पछताना पड़ता है?

उत्तर - जो व्यक्ति बिना सोचे-समझे काम करता है, उसे बाद में पछताना पड़ता है।

 

2. भविष्य को सँवारने के लिए क्या आवश्यक है?

उत्तर - भविष्य को सँवारने के लिए अतीत को भुलाकर, वर्तमान में जो कार्य संभव हो, उस पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है।

 

3. कार्य पूरा होने से पहले मन की बात दूसरों को बता देने का क्या खतरा है?

उत्तर - कार्य पूरा होने से पहले अपनी बात दूसरों को बता देने से दुर्जन लोग कार्य में बाधा डाल सकते हैं और योजना असफल होने पर हँसी भी उड़ सकती है।

 

4. कोयल को सभी क्यों पसंद करते हैं?

उत्तर - कोयल का रंग कौवे की तरह काला होने पर भी मीठी वाणी के कारण सभी लोग उसे पसंद करते हैं।

 

लिखित (Written Expression)

 

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

 

सही उत्तर के सामने सही का निशान () लगाइए-

 

1. कवि के अनुसार हमें किसका अभिमान नहीं करना चाहिए?

(क) संपत्ति प्राप्त होने का

(ख) ब्रह्मज्ञान होने का

(ग) उच्च पद पर होने का

(घ) गुणवान होने का

उत्तर - (क) संपत्ति प्राप्त होने का

 

2. कवि के अनुसार किसका सभी सम्मान करते हैं?

(क) धनवान व्यक्ति का

(ख) शासक का

(ग) सज्जन का

(घ) गुणवान व्यक्ति का

उत्तर - (घ) गुणवान व्यक्ति का

 

3. धन की प्रकृति कैसी होती है?

(क) शीतल

(ख) मंगलकारी

(ग) चंचल

(घ) पावन

उत्तर - (ग) चंचल

 

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

 

1. बिना विचारे कार्य करने से मन को क्या अच्छा नहीं लगता है?

उत्तर - जब हम बिना सोचे-समझे कोई निर्णय लेते हैं या कोई कार्य करते हैं, तो अक्सर अप्रत्याशित परिणाम आते हैं। बाद में हमें पछतावा होता है और यह पछतावा हमारे मन को अशांत करता है और हमें मानसिक तनाव देता है। 

 

2. जो कार्य किया जा सके उसी में मन लगाना चाहिए।" कवि ने ऐसा क्यों कहा है?

उत्तर - कवि ने यह बात इसलिए कही है क्योंकि जो कार्य सहजता से किया जा सकता है, उसी में मन लगाने से सफलता मिलती है। कठिन कार्यों या अतीत की बातों पर ध्यान देने से समय और ऊर्जा व्यर्थ होते हैं

 

3. हम संसार में सम्मान किस प्रकार प्राप्त कर सकते हैं?

उत्तर - हम संसार में सम्मान मीठे वचन बोलकर, विनम्रता से व्यवहार करके, और अपने गुणों व चरित्र को उन्नत बनाकर प्राप्त कर सकते हैं।

 

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

 

1. बिना सोच-विचार किए गए कार्य करने पर क्या-क्या हानियाँ होती हैं?

उत्तर - बिना सोच-विचार किए गए कार्य हमेशा नुकसानदायक होते हैं। ऐसे कार्यों से व्यक्ति का काम बिगड़ जाता है, और उसे बाद में पछताना पड़ता है। समाज में उसका उपहास होता है, जिससे उसकी प्रतिष्ठा कम हो जाती है। इसके अलावा, मन में हमेशा बेचैनी बनी रहती है, और व्यक्ति खान-पान, सम्मान, और सुख-दुख का आनंद भी नहीं ले पाता। उसकी गलतियों का बोझ उसे मानसिक रूप से परेशान करता है। अतः हर कार्य करने से पहले सोच-विचार करना आवश्यक है।

 

2. हमें दौलत पाकर भी अभिमान क्यों नहीं करना चाहिए?

उत्तर - दौलत चंचल और अस्थायी होती है। यह पानी की तरह केवल कुछ समय तक हमारे पास रहती है और फिर कहीं और चली जाती है। दौलत के अभिमान से व्यक्ति का चरित्र और सम्मान दोनों नष्ट हो सकते हैं। संसार में सच्चा सम्मान धन से नहीं, बल्कि विनम्रता, मीठे वचनों, और अच्छे कर्मों से मिलता है। धन की प्रकृति बदलती रहती है, लेकिन अच्छे गुण और विनम्र व्यवहार स्थायी होते हैं। इसलिए कवि हमें सिखाता है कि दौलत पाकर भी हमें अभिमान नहीं करना चाहिए।

 

3.  कवि बीती बातों को भुलाकर आगे की सुध लेने की बात क्यों कहता है?

उत्तर - कवि बीती बातों को भुलाने की सलाह इसलिए देता है क्योंकि अतीत की चिंताओं और गलतियों पर सोचने से समय और ऊर्जा बर्बाद होते हैं। जो बीत चुका है, उसे बदला नहीं जा सकता। वर्तमान में जो कार्य किया जा सकता है, उस पर ध्यान केंद्रित करने से भविष्य को सुखद बनाया जा सकता है। बीती बातों को याद करके हम परेशान होते हैं और उसका हमारे मन और शरीर पर बुरा असर पड़ता है। अतः हम बीते समय को भूल जाएँ और जो कार्य सहजता से हो सके, उसमें मन लगाएं, इसी में समझदारी है

 

4. भाव स्पष्ट कीजिए-

 

(क) जग में होत हँसाय, चित्त में चैन न पावै। 

    खान-पान, सनमान, राग-रंग मनहिं न भावै ।।

 

इन पंक्तियों में कवि गिरिधर यह बताते हैं कि बिना सोच-विचार किए कार्य करने वाला व्यक्ति जीवन में मानसिक शांति नहीं पाता। उसकी गलतियों के कारण समाज में उसका मजाक उड़ाया जाता है। इस उपहास और आत्मग्लानि के कारण व्यक्ति का मन बेचैन रहता है। उसे न तो खाने-पीने में रुचि होती है और न ही किसी प्रकार के सम्मान या मनोरंजन में। यहां कवि यह संदेश देते हैं कि सोच-समझकर किया गया कार्य ही सच्चा सुख और शांति देता है।

 

(ख) जब लग कारज होइ, भूलि कबहुँ कहिए। 

  नहि क दुरजन हँसे न कोइ, आप सियरे हवै रहिए। 

 

इस पंक्ति में कवि हमें सिखाते हैं कि जब तक हमारा काम पूरा न हो जाए, तब तक अपनी योजनाओं या विचारों को किसी से साझा नहीं करना चाहिए। यदि आप अपने विचार दूसरों को बता देंगे, तो कोई दुराचारी व्यक्ति आपका मजाक बना सकता है और आपकी योजना में बाधा डाल सकता है। इसलिए समझदारी इसी में है कि अपने कार्यों को गुप्त रखें और केवल परिणाम आने के बाद ही बात करें। यह संयम और चतुराई का प्रतीक है।

 

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न (Questions Based on Comprehension)

 

गुन के गाहक सहस नर, बिनु गुन लहै न कोय।

जैसे कागा कोकिला, सबद सुनै सब कोय।।

सबद सुनै सब कोय, कोकिला सबै सुहावन।

दोऊ को इक रंग, काग सब भए अपावन ।।

कह गिरिधर कविराय, सुनो हो ठाकुर मन के।

बिनु गुन लहै न कोय, सहस नर गाहक गुन के।।

 

1. कवि ने गुण-अवगुण को स्पष्ट करने के लिए क्या उदाहरण दिया है?

उत्तर - कवि ने गुण और अवगुण को स्पष्ट करने के लिए कोयल और कौवे का उदाहरण दिया है। दोनों का रंग समान होता है, लेकिन कोयल अपनी मीठी वाणी के कारण प्रिय होती है, जबकि कौआ अपनी कर्कश आवाज के कारण अप्रिय लगता है।

 

2 लोगों को कोयल प्रिय और कौआ अप्रिय क्यों होता है?

उत्तर - लोगों को कोयल उसकी मीठी वाणी के कारण प्रिय लगती है, जबकि कौआ अपनी कर्कश और अप्रिय आवाज के कारण लोगों को अच्छा नहीं लगता। यह गुण और अवगुण का अंतर दर्शाता है।

 

3. शब्दों के अर्थ लिखिए-

गाहक - खरीदार । 

सुहावन -मन को भाने वाला, सुंदर, आकर्षक।

अपावन - पवित्रता को नष्ट करने वाला, अशुद्ध, पापी।

लहै - प्राप्त करना, पाना। 

 

बात भाषा की

 

1. निम्नलिखित शब्दों का वर्ण-विच्छेद कीजिए-

 (क) चैन = च् + ऐ + न् + अ 

(ख) कोकिला = क् + ओ + क्  + इ + ल्  +

(ग) ग्राहक = क् + ओ + क्  + इ + ल्  +

 

2. निम्नलिखित शब्दों के अर्थ लिखिए-

 (क) पाहुन - मेहमान

 (ख) सियरे - सीमा, किनारा

 (ग) चित्त - मन

 (घ) जिय - मन (चित्त का पर्यायवाची)

 (ड़) करतूती - काम, कार्य

 (छ) ठाऊँ  - जगह

 (च) सहस - हजार

 (ज) कारज - काम, कार्य

 

3. निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए-

 (क) सम्मान - अपमान

(ख) दुख - सुख

(ग) दुरजन - सज्जन

 (घ) विश्वास - अविश्वास

 (ङ) चंचल - स्थिर

 (च) यश - अपयश

 

4. निम्नलिखित शब्दों के तीन-तीन पर्यायवाची शब्द लिखिए-

 (क) संसार - जगत, लोक, दुनिया

 (ख) चतुर - चालाक, होशियार, कुशल

 (ग) दौलत- धन, संपत्ति, माल

 

* (क) कुंडलियाँ एक विशेष प्रकार की काव्य-रचना होती है, जिसमें छह पंक्तियाँ होती हैं। इसकी प्रथम दो पंक्तियाँ  'दोहे' की होती हैं और अंतिम चार पंक्तियाँ 'रोला' की। इसमें दोहे के अंतिम चरण को रोला के प्रथम चरण के रूप में दोहराया जाता है। कुंडलियाँ की विशेषता यह होती है कि इसमें प्रथम चरण का पहला शब्द और ऑ चरण का अंतिम शब्द समान होता है; जैसे पाठ की कुंडलियों के प्रथम और अंतिम पद क्रमशः इस प्रकार है- 'बिना विचारे', 'बीति', 'दौलत', 'साई' तथा 'गुन के'

 

(ख) कुंडलियाँ की दूसरी विशेषता यह होती है कि इसके दूसरे चरण का आधा अंश तीसरे चरण का प्रथम अंश बन जाता है।

 

5. पाठ में दी गई कुंडलियों को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उपर्युक्त (क) तथा (ख) कथन के विषय में समझिए।




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