Grade-7 रोली (हिन्दी पाठमाला ) दवा, दफ़्तर और ज़िंदगी

 

दवा, दफ़्तर और ज़िंदगी

 

शब्दार्थ (Word Meanings)

नोटिस = सूचना (notice);

महिषासुर = एक राक्षस का नाम (a demon who faught with Goddess Durga taking form of a male buffalo);

निर्वाण = मुक्ति (free from the bound of birth and death, quietus);

वैराग्य = विरक्ति, संन्यासी-भाव (ascesis);

कौतूहल = उत्सुकता (eagerness);

आशान्वित = आशा से भरा हुआ (hopeful);

पैंतरा = चालाकी-भरी चाल (trick, dodge);

निपुणता = योग्यता, कुशलता (skill);

चारा = उपाय ( option);

कर = निर्धारित शुल्क (tax)

अभिनंदन = स्वागत (to greet)

 


मौखिक (Oral Expression)

 

1. कोवाल्सकी कहाँ गया था?

उत्तर - कोवाल्सकी कोलकाता के कस्टम दफ़तर में गया था।

 

2. कोलकाता का कस्टम दफ़्तर किसका उदाहरण था?

उत्तर- कोलकाता का कस्टम दफ़्तर एक सरकारी दफ़तर का जीता-जागता उदाहरण था।

 

3. दफ़्तर में फ़ाइलें किस प्रकार रखी थीं?

उत्तर - दफ़्तर में डोरी से बंधी पीले कागजों वाली फ़ाइलें पुरानी मेजों और शेलफ़ों और दरारें पड़े सीमेंट के फर्श पर पिरामिड के रूप में ढ़ेर पड़ी थीं । 

 

4. बाबू दफ़्तर में क्या कर रहे थे?

उत्तर - दफ़तर में बाबू अव्यवस्था के बीच में बैठे थे। उनमें से कुछ पंखे की हवा से उड़ते दस्तावेजों को पकड़ रहे थे, कुछ प्राचीन टाइपराइटरों पर उँगलियाँ मार रहे थे, कुछ अखबार पढ़ रहे थे या चाय की चुस्कियाँ ले रहे थे, कुछ मेज़ पर कागज़ के पुलिंदे बनाए सो रहे थे और कुछ कुर्सी पर योगी-के से आसान में बैठे थे। 

 

5. क्या दफ़्तर के बाबुओं के काम से कोवाल्सकी संतुष्ट था?

उत्तर - नहीं, दफ़्तर के बाबुओं के काम से कोवाल्सकी संतुष्ट नहीं था।

 

लिखित (Written)

 

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

 

1) कोवाल्सकी कौन था?

(क) कस्टम अधिकारी

(ख) डॉक्टर

(ग) पादरी ()

(घ) बीमारी व्यक्ति

 

2) कोवाल्सकी ने विदेश से क्या मँगवाया?

(क) दवा ()

(ख) कपड़े

(ग) जूता

(घ) घड़ी

 

3) कोवाल्सकी ने कैसी चाय पीने के लिए कहा?

(क) दूध वाली  ()

(ख) बिना दूध की

(ग) बिना चीनी की

(घ) मीठी

 

4) कस्टम अधिकारी ने कोवाल्सकी को पार्सल देने से मना क्यों कर दिया?

(क) क्योंकि दवा के दाम पूरे नहीं दिए गए थे ।  ()

(ख) क्योंकि दवा कस्टम दफ़्तर नहीं पहुँच पाई थी ।

(ग) क्योंकि दवा पर लिखी तारीख तीन दिन पहले ही बीत चुकी थी ।

(घ) क्योंकि पार्सल उसका नहीं था ।

 

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

 

1. कस्टम दफ़्तर की इमारत कैसी थी?

उत्तर - कस्टम दफ़्तर की इमारत पुरानी और जर्जर थी। 

 

2. कोवाल्सकी क्या लेकर कस्टम दफ़्तर गया था?

उत्तर - कोवाल्सकी दावा का पार्सल पहुँचने का नोटिस लेकर कस्टम दफ़्तर गया था। 

 

3. कोवाल्सकी कस्टम दफ़्तर क्यों गया?

उत्तर - कोवाल्सकी कस्टम दफ़्तर दवाओं का पार्सल लेने गया था। 

 

4. कोवाल्सकी किसकी जान बचाना चाहता था ?

उत्तर - कोवाल्सकी एक निर्धन महिला की जान बचाना चाहता था।

 

5. कोवाल्सकी को पार्सल के लिए कुल कितने रुपये व्यय करने पड़े?

उत्तर - कोवाल्सकी को पार्सल के लिए कुल चार सौ पैंसठ रुपये व्यय करने पड़े।

 

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

 

1. पाठ के प्रारंभ में कस्टम दफ़्तर का जो वर्णन किया गया है, उसे संक्षेप में लिखिए।

उत्तर- कस्टम दफ़्तर एक पुरानी जर्जर इमारत में था जिसकी सीढ़ियाँ बदबूदार थीं। इस सरकारी कार्यालय में डोरी से बंधी पीले कागजों वाली फ़ाइलें पुरानी मेजों और शेल्फ़ों और दरारें पड़े सीमेंट के फर्श पर पिरामिड के रूप में ढ़ेर पड़ी थीं । दफ़तर में बाबू अव्यवस्था के बीच में बैठे थे। उनमें से कुछ पंखे की हवा से उड़ते दस्तावेजों को पकड़ रहे थे, कुछ प्राचीन टाइपराइटरों पर उँगलियाँ मार रहे थे, कुछ अखबार पढ़ रहे थे या चाय की चुस्कियाँ ले रहे थे, कुछ मेज़ पर कागज़ के पुलिंदे बनाए सो रहे थे और कुछ कुर्सी पर योगी-के से आसान में बैठे थे।  दफ़तर की दीवार पर महिषासुरमर्दिनी के चित्र वाला पुराना कैलंडर तथा धूल-भरा महात्मा गांधी का चित्र भी लगा था।

 

2. सोमवार को कोवाल्सकी के कस्टम दफ़्तर जाने पर क्या हुआ?

उत्तर - सोमवार को तीन घंटे लंबी कतार में रहने के बाद कोवाल्सकी बाबू के सामने पहुँचा । बाबू ने पान का बीड़ा मुँह में रखते हुए अलमारी का दरवाजा खोला। दरवाजा खुलते ही वह फ़ाइलों,लेजरों, नोटबुकों आदि के ढ़ेर के नीचे दब गया। कोवाल्सकी ने बाबू की निकलने में मदद की। एक लेजर में बाबू को कोवाल्सकी का नाम मिला। इसके बाद एक पीली फाइल में कोवाल्सकी ने अपना नाम दूसरी बार देखा। कोवाल्सकी को आशा बंधी ही थी कि बाबू ने कहा कि बचा हुआ काम लंच के बाद करेंगे।

लंच के बाद बाबू ने चेहरे पर खेद के भाव प्रकट करते हुए कहा कि लेजर में दर्ज सूचना पर्ची में लिखी सूचना से मेल नहीं खा रही है।

 

3. कोलकाता का कस्टम दफ़्तर नौकरशाही का जीता-जागता उदाहरण किस प्रकार था?

उत्तर -  कोलकाता का कस्टम दफ़्तर नौकरशाही का जीता-जागता था जहाँ दर्जन भर बाबू अव्यवस्थित रूप से काम करते थे। इनमें से कुछ क्रिया-कलापों का तो दफ़तर के काम से कोई संबंध ही नहीं था। बाबूओं का काम करने का ढर्रा बिगड़ा हुआ था। कोवाल्सकी को इस दफ़तर से दवाओं का पार्सल प्राप्त करने के लिए पूरे छः हफ्तों का समय लगा। उसे लेजर ढूँढने के लिए बाबू को पैसे भी देने पड़े और अंत में जब दावा मिली को उसकी एक्स्पाइरी डेट निकल चुकी थी। 

 

4. कोवाल्सकी ने पार्सल छुड़ाने का विचार क्यों छोड़ दिया?

उत्तर - कोवाल्सकी को दफ़तर के चक्कर लगाते हुए सात दिन बीत चुके थे। आठवे दिन उसे कहा गया की लेजर ढूँढने के लिए दो आदमी लगाने होंगे और चालीस रुपये का व्यय भी करना होगा। फिर एक और हफ्ता निकल जाने पर कोवाल्सकी ने दवा मिलने की उम्मीद छोड़ दी और बीमार मरीज़ को ईसा मसीह की दया पर छोड़ने का फैसला किया। 

 

5. “लेकिन नौकरशाही के पैंतरों से वह परिचित नहीं था । " - इस वाक्य का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर - जब अलमारी खुलते ही बाबू पर फ़ाइलों, लेजर, नोटबुक आदि की बौछार हुई तो कोवाल्सकी ने बड़ी संजीदगी से बाबू की मदद की उसका निश्चय इस बात पर दृढ़ था कि बाबू की मदद करके दवाओं के पार्सल को तुरंत हासिल कर लेगा। परंतु ऐसा नहीं हुआ और वह उस दिन भी पार्सल नहीं पा सका। इसीलिए लेखक ने कहा है कि वह नौकरशाही के पैंतरों से परिचित नहीं था।

 

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न (Questions Based on Comprehension)

 

बाबू कोवाल्सकी से बड़े प्रेम से मिला मानो पुराना दोस्त हो। रसीदी टिकट खरीदने के लिए उसने तीस रुपये माँगे। फिर उसने गोंद की एक शीशी और एक ब्रुश, जिसमें कुल चार ही बाल थे, उठाया और जिस स्थान पर टिकट चिपकाने थे, वहाँ ढेर सारा गोंद लगा दिया। लेकिन इसी बीच टिकट पंखों की हवा से न जाने किधर उड़ गया। अब कोवाल्स्की के पास और तीस रुपये निकालकर बाबू के हाथ पर रखने के सिवाय कोई चारा न था ।

 

1. बाबू कोवाल्सकी से किस ढंग से मिला?

उत्तर - बाबू कोवाल्सकी से बड़े प्रेम से मिला मानो पुराना दोस्त हो।

 

2. बाबू ने कोवाल्सकी से तीस रुपये क्यों माँगे?

उत्तर - बाबू ने कोवाल्सकी से रसीदी टिकट खरीदने के लिए तीस रुपये क्यों माँगे।

 

3. रसीदी टिकट क्यों उड़ गया?

उत्तर - रसीदी टिकट पंखों की हवा से उड़ गया।

 

4. गद्यांश में आए विशेषण शब्दों को छाँटकर लिखिए।

उत्तर - पुराना दोस्त

रसीदी टिकट

तीस रुपये

एक ब्रुश

चार बाल

गोंद की एक शीशी

ढेर सारा गोंद

कोई चारा

 

बात भाषा की

 

* अरबी, फ़ारसी के शब्दों को हिंदी में लिखते समय उनमें बिंदी लगाई जाती है, जिसे नुकता कहते हैं। क, , , , फ व्यंजनों में नुकता लगाया जाता है, किंतु मानक हिंदी में सिर्फ़ ज़ और फ़ में ही नुकता लगाया जाता है।

 

(क) दफ्तर - दफ़्तर

(ख) फाइल - फ़ाइल

(ग) कागज - कागज़

(घ) फर्श - फ़र्श

(ङ) दराज - दराज़

(च) मंजिल - मंज़िल

 

2. निम्नलिखित शब्दों की वर्तनी शुद्ध करके लिखिए-

(क) नोकरसाही - नौकरशाही

(ख) दफ़तर - दफ़्तर

(ग) पारसल - पार्सल

(घ) तितलीयां - तितलियाँ

(ड़) वैराज्ञ - वैराग्य

(च) आगृह - आग्रह

 

3. निम्नलिखित शब्दों के तीन-तीन पर्यायवाची शब्द लिखिए-

(क) बिजली - तड़ित, दामिनी, घनप्रिय

(ख) समुद्र - सागर, पयोधि, जलधि

(ग) आँख - नेत्र, नयन, लोचन

 

* जिन पदों से किसी कार्य के करने या होने का बोध हो, उन्हें क्रिया कहते हैं। कर्म के आधार पर क्रिया मुख्यतः दो प्रकार की होती है- अकर्मक क्रिया तथा सकर्मक क्रिया । जिन क्रियाओं में कर्म नहीं होता, वे अकर्मक क्रियाएँ तथा जिन क्रियाओं में कर्म उपस्थित रहता है, वे सकर्मक क्रियाएँ कहलाती हैं; जैसे- आयुष खेल रहा है। - कर्म नहीं है - अकर्मक क्रिया । आयुष गेंद से खेल रहा है। कर्म (गेंद) है सकर्मक क्रिया ।

 

4. निम्नलिखित वाक्यों की क्रिया पहचानकर (अकर्मक/सकर्मक) लिखिए।

(क) दीवारों पर कुछ साल पुराना कैलेंडर टँगा था। सकर्मक

(ख) कुछ बाबू सो रहे थे। -अकर्मक

(ग) कोवाल्सकी से कई फॉर्म भरवाए गए। - सकर्मक

(घ) कोवाल्सकी वापस दौड़ा गया। - अकर्मक

 

* वे अविकारी शब्द जो संज्ञा या सर्वनाम का संबंध वाक्य के अन्य शब्दों के साथ होने का बोध कराते हैं, संबंधबोधक कहलाते हैं; जैसे- वह पेड़ के पीछे छिप गया। इस वाक्य में 'के पीछे' संबंधबोधक अव्यय है।

 

5. निम्नलिखित वाक्यों में संबंधबोधक को रेखांकित कीजिए-

(क) आप चाय दूध के साथ लेंगे या बगैर दूध के

(ख) कोवाल्सकी के सामने पुरानी मेज़ों का युद्धक्षेत्र था।

(ग) उसने बाबू की तरफ़ इशारा किया।

(घ) वह कागज़ों के समुद्र की ओर बढ़ा।

 

ज्ञान परख

 

'दूसरों पर निर्भर रहना' के लिए उपयुक्त मुहावरा है-

(क) हाथ-पैर मारना

(ख) पीठ दिखाना

(ग) मुँह ताकना ()

(घ) अकल चकराना

 

 

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