Grade-7 रोली (हिन्दी पाठमाला) जागो! हे जागो!

 

जागो! हे जागो!

 

सूखी धरती के आँचल से

उठती आज पुकार-

जागो ! हे जागो! जागो ! जागो !

जागो! सोई हुई बहारो,

जागो ! जनता के फनकारो,

तुमको आज अमन के राही

ताक रहा संसार,

जागो ! हे जागो ! जागो! जागो रे....

(1)

बदल रहे हैं धरती -अंबर, चाँद-सितारे बदल रहे,

बदलें नदियाँ राह, समुंदर आज किनारे बदल रहे,

भाषा बदली जीवन की, भगवान हमारे बदल रहे

पर सदियों की जंजीरों में जकड़ा है इनसान

है कितना अनजान, जागो....

(2)

लहरें सागर के अंचल से अँगड़ाई ले उठतीं,

आज गगन के छोर छू रही मन में आस उमगती,

प्रीति भरे जीवन में नफ़रत की ज्वाला अब दबती,

धरती करवट लेती बरसे मंगल वरदान

जागो ! सोये अभिमान, जागो....

(3)

युद्ध-क्रुद्ध आँखों से देखे उसकी नज़र झुकेगी,

उथल-पुथल दानवता की मानवता सह न सकेगी,

बुद्ध-प्रबुद्ध बन जगती का कलुषित नष्ट करेगी,

हर शोषण से मुक्त धरा पर होगा नव-निर्माण।

जागो ! नई मधुर मुसकान, जागो...।

 

- राजेंद्र रघुवंशी

 


शब्दार्थ (word Meanings)

फ़नकार = कलाकार (artist);

अमन = शांति (peace);

राही = यात्री (traveller);

सदियों = शताब्दियों (centuaries);

अञ्चल = क्षेत्र (region);

उमगती = उमड़ती (overflowing);

युद्ध-क्रुद्ध = लड़ाई हेतु क्रोधित (angry for the war);

बुद्ध-प्रबुद्ध = विवेकशील (intelligent);

जगती = पृथ्वी, संसार (world);

कलुषित = दुख, अपवित्रता (worst)

 

मौखिक (Oral Expression)

 

1. आज कहाँ से पुकार उठ रही है?

उत्तर- आज सूखी धरती के आँचल से पुकार उठ रही है।

 

2. इनसान किससे जकड़ा हुआ है?

उत्तर - इंसान सदियों की जंजीरों से जकड़ा हुआ है।

 

3. कवि कौन-सी मुस्कान को जगाना चाहता है?

उत्तर - कवि नई मधुर मुस्कान को जगाना चाहता है।

 

लिखित (Written Expression)

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

 

सही उत्तर के सामने सही का निशान () लगाइए-

 

1. कवि किन्हें जगाना चाहता है?

(क) सोई हुई बहारों को ()

(ख) अमन के राही को

(ग) समुंदर को

(घ) देश के सैनिकों को

 

2. आज कौन किनारे बदल रहे हैं?

(क) नदियाँ

(ख) समुद्री जहाज़

(ग) मल्लाह

(घ) समुंदर ()

 

3. कवि क्या बरसने की कामना कर रहा है?

(क) घनघोर बारिश

(ख) मंगल वरदान ()

(ग) मानवता

(घ) नव-निर्माण

 

लघुत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

1. आज संसार किन्हें ताक रहा है?

उत्तर- आज संसार शांति की राह पर चलने वालों को ताक रहा है।

 

2. नफ़रत की ज्वाला क्यों दबने लगी है?

उत्तर- प्रीति भरे जीवन से नफ़रत की ज्वाला दबने लगी है।

 

3. कवि ने किसकी नज़र झुकने की बात कही है?

उत्तर - कवि ने लड़ाई हेतु उठी क्रोधित नज़र के झुकने की बात कही है।

 

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

 

1. कवि ने वर्तमान संसार में क्या-क्या बदलाव होने की बात कही है?

उत्तर- कवि ने धरती और आसमान, चाँद और सितारों के बदलने की बात कही है। वे नदियों के रास्ते और समुंदरों के किनारे, जीवन की भाषा तथा भगवान बदलने की भी बात कर रहे हैं।

 

2. कवि के अनुसार धरती पर किस प्रकार नव-निर्माण होगा?

उत्तर - कवि के अनुसार जब विवेकशील लोग धरती के दुख को मिटा देंगे, तब ही धरती शोषण से मुक्त होगी और मानवता की स्थापना के साथ नव-निर्माण होगा।

 

3. इस कविता के माध्यम से कवि ने क्या संदेश दिया है?

उत्तर- इस कविता के माध्यम से कवि कहना चाहते हैं कि युद्ध और अस्थिरता के इस दौर में धरती पर यमन-प्रिय लोगों को जागने की आवश्यकता है। विवेकशील और अमन -प्रिय लोग ही मानवता की स्थापना करके इस धरती पर नाव-निर्माण कर सकेंगे।

 

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न (Questions based on Comprehension)

 

युद्ध-कुद्ध आँखों से देखे उसकी नजर झुकेगी,

उथल-पुथल दानवता की मानवता सह न सकेगी,

बुद्ध-प्रबुद्ध बन जगती का कलुषित नष्ट करेगी,

हर शोषण से मुक्त धरा पर होगा नव-निर्माण।

 

1. मानवता क्या नहीं सह सकेगी?

उत्तर - मानवता दानवता की उथल-पुथल नहीं सह सकेगी।

 

2. मानवता पृथ्वी के दुखों को किस प्रकार नष्ट करेगी?

उत्तर- विवेकशील और अमन-प्रिय मनुष्य धरती को शोषण से मुक्त करके मानवता की पुनः स्थापना करेंगे। इस प्रकार मानवता पृथ्वी के दुखों को नष्ट करेगी।

 

3. उथल-पुथल दानवता की मानवता सह न सकेगी'- इस पंक्ति में किस अलकार का प्रयोग हुआ है?

उत्तर- अंत्यानुप्रास अलंकार

 

4. आशय स्पष्ट कीजिए -

बदल रहे हैं धरती अंबर, चाँद-सितारे बदल रहे;

बदलें नदियाँ राह, समुंदर आज किनारे बदल रहे,

भाषा बदली जीवन की भगवान हमारे बदल रहे,

पर सदियों की जंजीरों में जकड़ा है इनसान,

है कितना अनजान, जागो.....

 

संदर्भ - ये पंक्तियाँ पाठ्यपुस्तक रोली की कविता जागो! हे जागो! से ली गई हैं।

प्रसंग - इन पंक्तियों में कवि परिवर्तन की आवश्यकता पर जोर दे रहे हैं ।

व्याख्या - कवि कह रहे हैं कि समयानुसार धरती-आसमान, चाँद-तारे, नदियों के मार्ग, समुंदरों के किनारे सभी बदलते हैं, यहाँ तक की जीवन की भाषा और भगवान भी बदल जाते हैं। पर मनुष्य सदियों से उन्ही जंजीरों में जकड़ा हुआ है। परिवर्तन के सत्य से अनजान मनुष्य को भी अब जगाने और बदलने की आवश्यकता है। 

 

1. निम्नलिखित उर्दू शब्दों के लिए हिंदी शब्द लिखिए-

(क) फ़नकार - कलाकार/ पारंगत

(ख) इनसान - मनुष्य / मानव

(ग) अमन - शांति

(घ) नफ़रत - घृणा

(ङ) जंजीर - लड़/ लड़ी

(च) नजर - दृष्टि

 

2. कोष्ठक से उचित विलोम शब्द चुनकर लिखिए-

(क) जीवन x मृत्यु  (मौत /मृत्यु)

(ख) नफ़रत x प्रेम  (प्यार/प्रेम)

(ग) धरती x आकाश (अंबर/आकाश)

(घ) दानव x  मानव (मनुष्य/मानव)

(ड़) मधुर x कड़वा (कटु/कड़वा)

 

3. निम्नलिखित शब्दों के समान तुकांतवाले दो-दो शब्द लिखिए जो कविता में न आए हों-

(क) रहे - बहे, सहे

(ख) करेगी - बहेगी, सहेगी

(ग) दबती - चबती,

(घ) फनकारो - पुकारो, ललकारो

(ड़) इनसान - आसान, अवसान

(च) पुकार - साहूकार, फनकार

 

4. निम्नलिखित शब्दों के तीन-तीन पर्यायवाची शब्द लिखिए-

(क) अम्बर - आकाश, आसमान, नभ

(ख) धरती - धरा, भूमि, पृथवी

(ग) राही - पथिक, बटोही, यात्री

(घ) समुद्र - सागर, जलधि, पयोधि 

 

5. निम्नलिखित शब्दों से वाक्य बनाइए-

(क) राह -  नदियाँ अपनी राह बदल रही हैं।

(ख) नज़र - मेरी चीजों पर नज़र मत डालो।

(ग) जीवन - जीवन में बदलाव की आवश्यकता है।

(घ) क्रुद्ध - मेरी बात सुनकर क्रुद्ध हो गई।

 

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