Grade-6 Hindi पाठ – 1 कलश अपने आप चमकेगा

 

पाठ – 1

कलश अपने आप चमकेगा

 

बन सको यदि मित्र,

नींव के पत्थर बनो।

देखना फिर मानवी-अस्तित्व का,

 कलश अपने आप चमकेगा।

 

        चाहते निज फालतू उन्नत बनाना,

        चाहते हर प्राणी को खुशियाँ लुटाना,

        चाहते यदि फासलों को पास लाना,

        और हर पीर में हिस्सा बाँटना

        तो  उठोदेखो उधर अटकी पड़ी है,

        जाह्नवी समिति जटाओं में। 

 

 पहचानो स्वयं कोविस्मृति न हो,

 तुम सगर के पुत्र हो अमर। 

 हिम्मत ना हारो कदापि

 जीत तुम्हारी होगी तथापि

हाँ, एक होकर बन भगीरथ,

 तुम लगाओ जोर

 गंगा अवसि भूतल पर बहेगी। 

 

        तब खेत लह-लह लहलाएँगे। 

        खलिहान रह-रह गीत गाएँगे। 

         आओ जुटेंसाधना में पें

         निर्माण होने दें

        कलेवर अपने आप बदलेगा। 

 

 यदि बन सको,

 नीम के प्रस्तर बनो। 

 देखना फिर मानवीय अस्तित्व का

 कलश अपने आप चमकेगा। 


-गजेंद्र सिंह सोलंकी

 शब्दार्थ

 प्रस्तर-  पत्थर - stone

 मानवी अस्तित्व-  मानवता का होना - human existence

 कलश-  घड़ा - pitcher, urn

अवसि -  मजबूरलाचार -  compelled

 निज -  स्वयं का अपना - own

 उन्नत बनाना -  ऊंचा उठाना - to progress/uplifted

 पीर -  पीड़ाकष्ट - suffering

 जाह्नवी -  गंगा नदी - River Ganga

 विस्मृति -  भूल जाना - forgetfulness 

 सगर -  राजा भगीरथ के पूर्वज - An ancestor of king Bhagiraths

 कदापि -  कभी नहीं - at any account

तथापि - तो भी - yet

खलिहान -  जहां फसल काट कर रखी जाती है - threshing floor

 साधना -  सिद्धि के लिए किया जाने वाला प्रयत्न - penance, sprictual training 

 कलेवर -  रूपबाहरी ढाँचा - appearance, structure

 

कुछ प्रश्न कविता से

प्रश्न - कवि ने हमें क्या बनाने के लिए कहा है?

उत्तर - कवि ने हमें नींव के प्रस्तर बनाने को कहा है । 

 

प्रश्न - कवि ने युवाओं को किसका पुत्र कहा है ?

उत्तर - कवि ने युवाओं को सगर के अमर पुत्र कहा है । 

 

प्रश्न - कवि ने युवाओं को क्या होने देने के लिए कहा है ?

उत्तर - कवि ने युवाओं को निर्माण होने देने के लिए कहा है। 

 

 सही उत्तर चुनिए –

 

1- कवि कौन से कलश के पुनः चमकने की बात कह रहा है?

क- मानव की शक्ति का अस्तित्व

ख-  मनुष्य के श्रम का

ग-  मानवता का

घ-  मानव के अस्तित्व का

 

2-  कवि ने युवाओं से किस में हिस्सा बांटने के लिए कहा है?

क -  परिश्रम में

ख -  प्रत्येक की पीड़ा में

ग-  देश हित में

घ-  सामाजिक कार्यों में

 

किसमें तपने से परिस्थितियां स्वयं ही अच्छी हो जाएँगी?

 क- आग

ख- साधना

ग-  श्रम

घ-  तपस्या

 

निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षेप में उत्तर दीजिए-

प्रश्न- " तुम सगर के पुत्र हो अमर!इस पंक्ति में ' अमर' शब्द का प्रयोग किसके लिए किया गया है?

उत्तर - " तुम सगर के पुत्र हो अमर!इस पंक्ति में ' अमर' शब्द का प्रयोग देश के युवाओं के लिए किया है क्योंकि वे हमेशा रहने वाले हैं । 

 

प्रश्न - निज भाल उन्नत बनाने से कवि का क्या तात्पर्य है ?

उत्तर -  निज भाल उन्नत बनाने से कवि का तात्पर्य अपने भविष्य को उन्नत बनाने से है। 

 

प्रश्न - खुशहाली रूपी गंगा को पृथ्वी पर बहाने के लिए क्या आवश्यक है?

उत्तर -  खुशहाली रूपी गंगा को पृथ्वी पर बहाने से सभी का विकास होगा । 

 

इन प्रश्नों के उत्तर विस्तार से दीजिए। 

 प्रश्न 1 -  कवि ने नींव के प्रस्तर बनने की बात कहकर युवाओं को क्या प्रेरणा दी है?

उत्तर - कवि ने युवाओं को नीव के प्रस्तर अर्थात पत्थर बनने की प्रेरणा दी है क्योंकि मजबूत नींव पर ही अच्छी इमारत बनती है। देश  को उन्नत बनाने के लिए ऐसे युवाओं की आवश्यकता है जो बिना प्रसिद्धि की आशा के अपना उत्सर्ग कर सकें। 

 

प्रश्न 2 - जीत हासिल करने के लिए क्या आवश्यक है?

 उत्तर - जीत हासिल करने के लिए  सभी युवाओं को एक होकरराजा भगीरथ की तरह कड़े प्रयत्न करने  की आवश्यकता है। ऐसा करने से हम अपने रास्ते में आने वाली सभी मुसीबतों और बाधाओं को आसानी से पार कर सकेंगे।

 

प्रश्न 3 - 'फ़ासलों को पास लाने' पंक्ति में कवि ने किन फ़ासलों की ओर संकेत किया है?

उत्तर - 'फ़ासलों को पास लाने' पंक्ति में कवि ने मनुष्य से मनुष्य के फ़ासले की ओर संकेत किया है । मनुष्य से मनुष्य के फ़ासले सुखी-दुखी, अमीर-गरीब, दिलों की दूरियाँ आदि अनेक रूपों में देखे जाते हैं । 

 

प्रश्न 4 - निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए। 

 

हाँ, एक होकर बन भगीरथ,

तुम लगाओ जोर

गंगा अवसि भूतल पर बहेगी। 

तब खेत लह-लह लहलाएँगे। 

खलिहान रह-रह गीत गाएँगे। 

 

तात्पर्य - जिस प्रकार राजा भगीरथ अपनी कठोर तपस्या के द्वारा धरती पर गंगा को बाहर लाए थे उसी प्रकार कवि युवाओं को जोर लगाकर ऐसे प्रयत्न करने को कह रहे हैं जिससे कि देश में सभी और समृद्धि एवं विकास देखा जा सके. 

 

इन पंक्तियों को ध्यानपूर्वक पढ़िए एवं दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए। 

 

तो  उठोदेखो उधर अटकी पड़ी है,

 जाह्नवी समिति जटाओं में। 

 पहचानो स्वयं कोविस्मृति न हो,

 तुम सगर के पुत्र हो अमर। 

 

1- कविता के अनुसार कौन अटकी पड़ी है?

उत्तर -  कविता के अनुसार  गंगा रूपी समृद्धि अटकी पड़ी है। 

 

2-  जाह्नवी किस में सिमटी हुई है?

उत्तर -  जाह्नवी शिव जी की जटाओं में सिमटी हुई है। 

 

3-  कवि ने क्या विस्मृत न होने देने के लिए कहा है?

 उत्तर -  देश के युवा हमेशा रहने वाले हैं -  कवि ने  यह बात विस्मृत न होने देने के लिए कहा है। 

 

4-  दो दो पर्यायवाची लिखिए-

क-  जाह्नवी - गंगामंदाकिनी

ख -  पुत्र - बेटावत्स

 

भाषा ज्ञान

शब्दों के वर्णों को अलग अलग करके लिखना वर्ण विच्छेद कहलाता हैजैसे-  कलश = क् + अ + ल् + अ + श् + अ

 

अब इन शब्दों का वर्ण विच्छेद कीजिए-

प्रस्तर - प् + र् + अ + स् + त् + अ + र् + अ 

खुशियाँ - ख् + उ + श् + इ + य् + आ 

निर्माण- न + इ + र् + म् + आ + ण् +अ 

 

नीचे दिए गए शब्दों के दो दो पर्यायवाची लिखिए-

 प्रस्तर = पत्थर, चट्टान 

भाल = शीश, सिर 

 भू = भूमि , धरती 

 

संयुक्त व्यंजन -  जब एक  स्वर रहित व्यंजन और 1 वर्ग युक्त व्यंजन के मेल से नया व्यंजन बनता है तो वह संयुक्त व्यंजन कहलाता है।  हिंदी में चार संयुक्त व्यंजन हैं । 

क् + ष = क्ष 

त् + र = त्र 

ज + ञ = ज्ञ 

श् + र = श्र 

 

 संयुक्ताक्षर -  जब एक स्वर रहित व्यंजन का मेल किसी स्वरयुक्त भिन्न व्यंजन से होता है तो वह संयुक्ताक्षर कहलाता है। 

क् + य = क्य 

न् + य = न्य 

त् +म = त्म 

श् + व = शव 

 

द्वित्व व्यंजन -  जब एक स्वर रहित व्यंजन का मेल समान स्वर युक्त व्यंजन से होता है तो वह द्वित्व व्यंजन कहलाता है। 

क् + क = क्क 

ल् + ल = ल्ल 

ट् + ट = ट्ट

च् + च = च्च  

 

 

नीचे दिए गए संयुक्ताक्षरों/ द्वित्व व्यंजनों से बने तीन-तीन शब्द लिखिए-

स्त = प्रस्तर, अस्तर, पिस्ता 

त्व = सत्व, तत्व, ममत्व 

स्म = स्मरण, स्मृति , स्मारक 

म्ह = कुम्हार, तुम्हारा

स्स = रस्सी , लस्सी , अस्सी 

 

पुल्लिंग एवं स्त्रीलिंग शब्द -

पुरुष जाति का बोध कराने वाले शब्द पुल्लिंग तथा स्त्री जाति का बोध कराने वाले शब्द स्त्रीलिंग कहलाते हैंजैसे आदमी, पत्थर, आकाश, घड़ा पुल्लिंग और औरत, ईंट, धरती, कटोरी स्त्रीलिंग हैं । 

 

नीचे दिए गए शब्दों के लिंग बताइए-

नींव -  स्त्रीलिंग

भाल -  पुल्लिंग

मित्र -  लिंग

जाह्नवी -  स्त्रीलिंग

भागीरथ-  पुल्लिंग

खेत - पुल्लिंग

साधना -  स्त्रीलिंग

कलश -  पुल्लिंग

 

नीचे दिए गए शब्दों में प्रत्यय जोड़कर नए शब्द बनाइए-

मानव + ईय = मानवीय 

चमक + ईला = चमकीला 

मित्र + ता = मित्रता 

खेत + ई = खेती 

गरम + ई = गरमी 

स्त्री + त्व = स्त्रीत्व 

धर्म + इक = धार्मिक 

गायक + इका = गायिका 

 

संज्ञा -

किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान या भाव का बोध करनेवाले शब्द को संज्ञा कहते हैं। 

संज्ञा के तीन भेद हैं -

व्यक्तिवाचक संज्ञा; जैसे भारत, यमुना, रामायण, हिमालय, दिल्ली, साइना नेहवाल आदि। 

जातिवाचक संज्ञा; जैसे देश, नदी, पुस्तक, पर्वत, शहर, लड़की आदि । 

भाववाचक संज्ञा; जैसे शुचिता, दुख, मिठास, हार, बचपन, ईमानदारी, शीघ्रता आदि । 

 

कविता से चुनकर जातिवाच एवं भाववाचक संज्ञा शब्द लिखिए । 

जातिवाचक संज्ञा    

भाववाचक संज्ञा 

मित्र 

प्रस्तर 

नीव 

कलश

कलेवर  

भाल 

प्राण 

पुत्र 

खेत 

खलिहान 

मानवी-अस्तित्व 

निज 

खुशियाँ 

फ़ासले 

पीर 

विस्मृति 

हिम्मत 

जीत 

साधना 

हिस्सा 

  

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