Class-8 Sanskrit (Ruchira) नवमः पाठः - सप्तभगिन्यः / NCERT Book/ CBSE Syllabus

 

नवमः पाठः

सप्तभगिन्यः

 

शब्दार्थाः

बाढम्

 बहुत अच्छा

पठनीयम्

 पढ़ना है

कति

 कितने

ज्ञातुम्

 जानने के लिए

चतुर्विंशतिः

चौबीस

पञ्चविंशतिः

पचीस

भगिनी

 बहन

अष्टाविंशतिः

 अठाईस

केन्द्रशासितप्रदेशाः

 केन्द्र द्वारा शासित प्रदेश

अतिरिच्य

 अतिरिक्त

भवतु

 अच्छा

समवायः

 समूह

प्रथितः

 प्रसिद्ध

प्रतीकात्मकः (प्र + आत्मकः)

 सांकेतिक

कदाचित्

 सम्भवतः

साम्याद्

 समानता के कारण

उक्तोपाधिना (उक्त + उपाधिना)

 कही गयी उपाधि से/के कारण

नाम्नि

 नाम में

संशयः

 सन्देह

अपरतः

 दूसरी ओर

क्षेत्रपरिमाणैः

 क्षेत्रफल से

लघूनि

 छोटे

गुणगौरवदृष्ट्‍या

 गुण एवं गौरव की दृष्टि से

बृहत्तराणि

 बड़े

स्वाधीनाः (स्व+अधीनाः)

 स्वतन्त्र

स्वायत्तीकृताः

 अपने अधीन किये गये

महत्वाधायिनी (महत्व+आधायिनी)

 महत्व को रखने वाली, महत्वपूर्ण

श्रुतमधुरशब्दः

 सुनने में मधुर ष्षब्द

प्रभृतिभिः

 आदि से

विहितम्

 विधिपूर्वक किया गया

प्राकृतिकसम्पद्धिः

 प्राकृतिक सम्पदाओं से

सुखसमृद्धानि

 बहुत समृद्ध

भारतवृक्षे

भारत रूपी वृक्ष में/ पर

पुष्पबकसदृशानि

 पुष्प् के गुच्छे के समान

हृद्या

 प्रिय (ह्रद्य को प्रिय लगने वाली), मनोरम

रम्या

 रमणीय

सवहितमनसा

सावधान मन से

ऊर्जस्विनः

 ऊर्जा युक्त

पर्वपरम्पराभिः

 पर्वो की परम्परा से

प्रिपूरिताः

 पूर्ण, भरे- पूरे

समभिनन्दनीयम्

स्वागत योग्य

समीचीनः

 बहुत अच्छा

स्वलीलाकलाभिः

 अपनी क्रिया एवं कलाओं से

निष्णाताः

 पारङ्गत,  निपुण

वंशवृक्षनिर्मितानाम्

 बॉंस के वृक्षो से निर्मित

अवाप्तः

 प्राप्त

बह्वाकर्षकः (बहु+आकर्षकः)

 अत्यंत आकर्षक/ अत्यधिक आकर्षक

 

अभ्यासः

 

1. उच्चारणं कुरुत-

सुप्रभातम्- महत्वाधायिनी- पर्वपरम्पराभिः

चतुर्विंशतिः-द्विसंप्ततितमें-वंशवृक्षनिर्मितानाम्

सप्तभगिन्यः- प्राकृतिकसम्पद्धिः- वंशोद्योगोऽयम्

गुणगौरवदृष्ट्या-पुष्पस्तकबसदृशानि- अन्ताराष्ट्रियख्यातिम्

 

2. प्रश्नानाम् उत्तराणि एकपदेन लिखत-

 

क. अस्माकं देशे कति राज्यानि सन्ति?

उत्तर- अष्टाविंशति

 

ख. प्राचीनेतिहासे काः स्वाधीनाः आसन्?

उत्तर- सप्तभगिन्यः

 

ग. केषां समवायः ‘सप्तभगिन्यः’ इति कथ्यते?

उत्तर- सप्तराज्यानाम्

 

घ. अस्माकं देशे कति केन्द्रशासितप्रदेशाः सन्ति?

उत्तर- सप्त

 

ड.सप्तभगिनी-प्रदेशे कः उद्योगः सर्वप्रमुखः?

उत्तर- वंशोद्योगः

 

3.अधोलिखितपदेषु प्रकृति-प्रत्ययविभागं कुरुत-

          पदानि-प्रकृतिः-प्रत्ययः

 यथा- गन्तुम्=गम् + तुमुन्

         ज्ञातुम्=ज्ञा + तुमुन्

ग्रहीतुम्= ग्रह+ तुमुन्

पातुम्= पा +तुमुन्

श्रोतुम्= श्रृ+ तुमुन्

भ्रमितुम्= भ्रम + तुमुन्

 

4.पाठात् चित्वा तद्भवपदानां कृते संस्कृतपदानि लिखत-

   तद्भव-पदानि                संस्कृत-पदानि

यथा- सात                        -सप्त

         बहिन                     - भगिनी

         संगठन                   - सङ्‍घटनम्

बॉंस                       -वंशः

आज                      - अद्य

खेत                       - क्षेत्रम्

 

6. भिन्नप्रकृतिकं पदं चिनुत-

 

क. गच्छति, पठति, धावति, अहसत्, क्रीड़ति। (अहसत्)

ख. छात्रः, सेवकः, षिक्षकः, लेखिका, क्रीड़कः। (लेखिका)

ग. पत्रम्, मित्रम्, पुष्पम्, आम्रः, नक्षत्रम्। (आम्रः)

घ. व्याघ्रः, भल्लूकः, गजः, कपोतः, वृषभः, सिंहः। (कपोतः)

ड. पृथिवी, वसुन्धरा, धरित्री, यानम्, वसुधा। (यानम्)

 

6. मनञ्‍जूषातः क्रियापदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत-

सन्ति, अस्ति, प्रतीयन्ते, वर्तते, इच्छामि, निवसन्ति, वर्तन्ते

 

क. अयं प्रयोगः प्रतीकात्मकः वर्तन्ते

ख. सप्त केन्द्रशासितप्रदेशाः सन्ति।

ग. अत्र बहवः जनजातीयाः निवसन्ति

घ. अहं किमपि श्रोतुम् इच्छामि।

ड.तत्र हस्तशिल्पिनां बाहुल्यं अस्ति

च. सप्तभगिनीप्रदेशाः रम्याः हृद्या  वर्तन्ते।

छ.गुणगौरवदृष्ट्या इमानि वृहत्तराणि प्रतीयन्ते

 

7. विशेष्य-विशेषणानाम् उचितं मेलनम् कुरुत-

 

विशेष्य पदानि

 विशेषण पदानि

अयम्

 संस्कृतिः

संस्कृतिविषिष्टायाम्

 इतिहासे

महत्वाधायिनी

 प्रदेशः

प्राचीने

 समवायः

एकः

 भारतभूमौ

 

उत्तर –

विशेष्य पदानि

विशेषण पदानि

अयम्

 प्रदेशः

संस्कृतिविषिष्टायाम्

 भारतभूमौ

महत्वाधायिनी

 संस्कृतिः

प्राचीने

 इतिहासे

एकः

 समवायः

 

योग्यता-विस्तारः

अद्ययं मत्रयं चैव न-त्रि-युक्तं तथा द्वयम्।

सप्तराज्यसमूहाऽयम् भगिनीसप्तकं मतम्।।

यह राज्यों के नामों को याद रखने का एक सरल तरीका है। इसका अर्थ है अ आरंभ होने वाले दो, म से आरंभ होने वाले तीन, न से आरंभ होने वाले नागालैण्ड और  त्रि से त्रिपुरा का बोध होता है।

इसी प्रकार अठारह पुराणों के नाम याद रखने के लिए यह श्लोक प्रसिद्ध है-

मद्वयं भद्वयं चैव ब्रत्रयं वचतुष्टयम्।

अ-ना-प-लिंग-कूस्कानि पुराणानि प्रचक्षते।।

सप्तभगिनी’ इस उपनाम का सर्वप्रथम प्रयोग 1972 में श्री ज्योति प्रसाद ने आकाशवाणी के साथ भेंटवार्ता के क्रम में किया था।

इनके अंतर्गत आने वाले राज्यों का उल्लेख प्राचीन ग्रन्थों में भी प्राप्त होता है यथा- महाभारत, रामायण, व पुराण आदि।

इन राज्यों की राजधानी क्रमषः इस प्रकार है-

अरूणाचल प्रदेश-इटानगर

असम- दिसपुर

मणिपुर-इम्फाल

मिजोरम- ऐजोल

मेघालय-  शिलाङ्ग

नागालैण्ड- कोहिमा

त्रिपुरा- अगरतल्ला

 

बिहू, मणिपुरी, नानक्रम आदि इस प्रदेष के प्रमुख नृत्य है।

नगा, मिजो, खासी, असमी, बांग्ला, पदम, बोडो, गारो, जयन्तिया आदि यहॉं की प्रमुख भाषाएँ हैं।

सप्तसंख्या पर कुछ अन्य नाम प्रचलित हैं-

सप्तसिन्धु- ‘सप्तभगिनी’ के समान सप्तसिन्धु भी हैं। ये सप्तसिन्धु हैं- सिन्धु, शुतुद्री (सतलज), इरावती (इरावदी), वितस्ता (झेलम), विपाशा (व्यास), असिवनी (चिनाब) और सरस्वती।

सप्तपर्वत-महेन्द्र, मलय, हिमवान्, अर्बुद, विन्ध्य, सह्याद्रि, श्रीशैल।

सप्तर्षि- मरीचि, पुलस्त्य, अंगिरा, क्रतु, अत्रि, पुलह, वसिष्ठ।

कृष्णनाथ की पुस्तक अरूणाचल यात्रा (वाग्देवी प्रकाशन, बीकानेर 2002) पठनीय है।

 

परियोजना-कार्यम्

पाठ में स्थित अद्वयं...... वाली पहेली से सातों राज्यों के नाम को समझो।

 

 


 

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