Class-8 Sanskrit (Ruchira)त्रयोदशः पाठः - हिमालयः/ NCERT Book/ CBSE Syllabus
त्रयोदशः पाठः
हिमालयः
शब्दार्थाः
नगाधिराजः (नग+अधिराजः) |
पर्वतराज |
पूर्वापरो (पूर्व+अपरौ) |
पूर्व और पश्चिम में स्थित दोनो |
तोयनिधी |
दोनों समुद्रों को |
वगाह्य |
प्रविष्ट
होकर, धॅंस कर |
मानदण्डः |
मापक, पैमाना, नापने के लिए प्रयुक्त उपकरण |
प्रभवस्य |
उत्पन्न
करने वाले का |
सौभाग्यविलोपि |
सौन्दर्य, महिमा, बड़प्पन को तुप्त करने वाला |
सन्निपाते |
इकट्ठा होने पर |
निमज्जति |
विलीन हो जाता है, नगण्य होता है |
अङ्कः |
कलंक, धब्बा |
आमेखलम् |
मध्य भाग तक |
सञ्चरताम् |
विचरण करते हुए |
सानुगताम् |
चोटियों पर गयी हुई |
निषेव्य |
सेवन करके, सुख पाकर |
उद्वेजिता |
घबराए हुए, परेशान |
आश्रयन्ते |
आश्रय लेते हैं |
आतपवन्ति |
धूप से युक्त पर |
कपोलकण्डूः |
कनपटी की खुजली |
करिभिः |
दूर करने के लिए |
विनेतुम् |
रगड़े हुओं का |
विघटिृतानाम् |
देवदारू के वृक्षों का |
सरलदुमाणाम् |
दूध निकलने से |
स्रुतक्षीरतया |
उत्पन्न |
प्रसूतः |
पर्वत की चोटियाँ |
सानूनि |
सुगन्धित कर देता है |
सुरभीकरोति |
गुफाओं में |
गुहासु |
गुफाओं में |
लीनम् |
छिपे हुए |
दिवाभीतम् |
दिन से डरे हुए, उल्लू |
क्षुद्रेऽपि (क्षुद्रे+अपि) |
अधम या नीच को भी |
शरणं प्रपन्ने |
शरण
में आये हुए |
ममत्वम् |
अपनापन |
सतीव (सति+ इव) |
मानों होने पर |
अभ्यासः
1. अधोलिखितानां प्रश्नानाम्
एकपदेन उत्तराणि लिखत-
क.
पृथिव्याः मानदण्डः कः?
उत्तर-
हिमालयः
ख.
हिमालयः भारतस्य कस्यां दिशि वर्तते?
उत्तर-
उत्तरस्याम्
ग.
इन्दोः किरणेषु कः निमज्जति?
उत्तर-
अड.कः/ कलड.कः
घ.
कुमारसम्भवमहाकाव्यस्य रचयिता कः?
उत्तर-
कालिदासः
ड.
हिमालयः गुहासु कं रक्षति?
उत्तर-
अंधकारम्
2. अधोरेखाङ्कितेभ्यः पदेभ्यः
प्रश्ननिर्माणं कुरूत-
क.
हिमालयः उत्तरस्यां दिशि वर्तते।
- हिमालयः कस्यां दिशि वर्तते?
ख.
पृथिव्याः मानदण्डः हिमालयः अस्ति।
- पृथिव्याः मानदण्ड कः अस्ति?
ग. कुमारसम्भवमहाकाव्यं
कालिदासेन विरचितम्।
-कुमारसम्भवमहाकाव्यं केन विरचितम्?
घ.
अस्मिन् पाठे कविः हिमालयस्य वर्णनं करोति।
-अस्मिन् पाठे कविः कस्य वर्णनं करोति?
3. अधोलिखितेषु पदेषु
सन्धिविच्छेदं कुरूत-
अस्त्युत्तरस्याम्
= अस्ति + उत्तरस्याम्
नगाधिराजः
= नग + अधिराजः
पूर्वापरौ
= पूर्व + अपरौ
किरणेष्विव
= किरणेषु + इव
यस्यातपवन्ति
= यस्य + आतपवन्ति
4. मञ्जूषातः शब्दान् चित्वा निर्विष्टस्तम्भेषु
लिखत-
नगाधिराजः, दिशि, इन्दोः, सिद्धाः, करिभिः, किरणैः, द्रुमाणाम्, स्रुतक्षीरतया, क्षुद्रे, छायायाम्, गुहासु, महाकाव्ये, श्रृङ्गाणि, विघटिृतानाम्, मानदण्डः, प्रभवस्य, यः, घनानाम्, वृष्टिभिः, कालिदासेन |
प्रथमाविभक्तिः |
तृतीयविभक्तिः |
षष्ठीविभक्तिः |
सप्तमीविभक्तिः |
यः |
करिभिः |
इन्दोः |
गुहासु |
नगाधिराजः |
किरणैः |
द्रुमाणाम् |
दिषि |
मानदण्डः |
स्रुतक्षीरतया |
विघटिृतानाम् |
छायायाम् |
श्रृंगाणि |
वृष्टिभिः |
प्रभवस्य |
महाकाव्ये |
सिद्धाः |
कालिदासेन |
घनानाम् |
शुद्रे |
5. अधोलिखितानि पदानि आधृत्य
वाक्यानि रचयत-
पृथिव्याः- हिमालयः पृथिव्याः मानदण्डः अस्ति।
हिमालये- हिमालये कैलास वर्तते।
गृहासु- गृहासु अंधकारः भवति।
इन्दोः- पूर्णिमातिथौ इन्दोः प्रकाशं भवति।
छायायाम्- ग्रीष्में छायायाम् विश्रामं करणीयम्।
योग्यता-विस्तारः
‘मानदण्ड’ षब्द मापने के लिये प्रयोग में
लायी जाने वाली तराजू के लकड़ी के डण्डे को कहा जाता है। यह शब्द अब आदर्श कसौटी, निकष,
पराकाष्ठा, श्रेष्ठता का पैमाना आदि अर्थो में
प्रयुक्त होता है।
‘पूर्वापरौ तोयनिधी’ के माध्यम से यहॉ क्रमशः
बंगाल की खाड़ी तथा अरबसागर की ओर संकेत किया गया है।
‘सरलद्रुम’ देवदारू के पेड़ को कहा जाता है।
इसकी छाल बहुत कोमल होती है। घर्षणमात्र से ही इसकी खाल छिल जाती है तथा उससे दूध
की धार बहने लगती है।
हिमालय की महिमा का वर्णन दूसरे ग्रन्थों में भी प्राप्त होता
है। तुलनीय-
कैलासो हिमवांष्चैव दक्षिणे वर्षपर्वतौ।
पूर्वपष्चिमंगावेतावर्णवान्तरूपस्थितौ। (ब्रहमाण्डपुराणम्)
कालिदास द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत के विरूद्ध में एक यह कथन
पाया जाता है-
एको हि दोषो गुणसन्निपाते निमज्जतीन्दोरिति यो बभाषे।
न तेन दृष्टं कविना समस्तं दारिद्रयमेकं गुणकोटिहारि।।
सूक्ति का अर्थ है सुन्दर कथन। कालिदास के काव्य में बहुत ऐसी
सूक्तियॉं है जिनसे मनुष्य को बहुत सी सीख मिलती है। नीचे दी गयी कुछ अन्य
सुक्तियों का अध्ययन करें।
कालिदास ने मेघदूत में रामगिरि पर्वत को ले कर लिखा है-
न क्षुद्रोऽपि
प्रथमसुकृतापेक्षया संश्रयाय।
प्राप्ते मित्रे
भवति विमुखः किं पुनर्यस्तथौच्चैः।।
·
कालिदास की अन्य प्रसिद्ध सुक्तियाँ
·
शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्।
·
न रत्नमविन्ष्यति मृग्यते हि तत्।
·
प्रियेषु सौभाग्यफला हि चारूता।
·
पुराणमित्येव न साधु सर्वम्।
· रिक्तः सर्वो भवति हि लघुः पूर्णता गौरवाय
परियोजना-कार्यम्
इस पाठ में सूक्तियाँ खोजें।
अन्य भाषाओं में प्राप्त हिमालय वर्णन को पढें और उसकी सूची
बनायें।
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