Class-8 Sanskrit (Ruchira) तृतीयः पाठः भगवदज्जुकम्/ NCERT Book/ CBSE Syllabus
तृतीयः पाठः
भगवदज्जुकम्
शब्दार्थाः
अज्जुका |
सम्मान्य महिला/ गणिका के लिये संज्ञा और
संबोधन |
एकतः |
एक ओर |
परिव्राजकस्य |
संन्यासी का |
जीवेन |
प्राण के साथ |
आविष्टा |
प्रविष्ट हुई |
अपरतः |
दूसरी ओर |
चेटी |
दासी, नौकरानी |
सत्तवस्थिता |
प्राण में स्थित |
वष्टा |
डस ली गयी |
विषतंत्रम् |
झाड़
फूँक / विष भगाने की विद्या |
आरभे |
आरम्भ करता हूँ/ शुरू करता हूँ |
कुण्डलकुटिलगामिनि! |
हे कुण्डल के समान टेढ़ी चाल |
मण्डलम् |
ओझाओं के द्वारा साँप पकड़ने के पृथ्वीतल पर
बनायी जाने वाली वृत्त आकृति |
सिरावेधम् |
नाड़ी काटना |
कुठारिका |
छोटी कुल्हाड़ी |
पित्तम्, वातम् |
पित्त एवं वात (वायु) से उत्पन्न होने वाले
रोग |
क्रियताम् |
करें |
यत्नः |
श्रम, परिश्रम,
मेहनत |
अकृतज्ञा |
कृतध्न |
गुलिकाः |
दवाई की गोलियॉ |
निष्क्रान्तः |
निकल गया |
भर्त्सितः |
डाँटा
गया |
क्षिप्रम् |
शीघ्र |
नीयताम् |
ले जायें |
क्षीणायुः (क्षीण+ आयुः) |
जिसकी आयु समाप्त हो गयी है। |
इह |
यहाँ |
अग्निसंयोगम् |
आग से संयोग |
सप्राणाम् |
प्राण सहित को |
उत्थिता |
उठ गयी |
वराड़्गना (वर+अड़्गना) – |
श्रेष्ठ नारी |
भुवि |
पृथ्वी पर |
न्यस्य |
रखकर |
अवसिते |
समाप्त होने पर |
प्रत्यागतप्राणः |
जिसका प्राण लौट आया है |
शड़्खवलयपूरित |
शंख
निर्मित कड़ा से युक्त |
अवघटृयामि |
घोंटात हूँ/ पीसता हूँ |
कतमेन |
किस |
कियन्तः |
कितने |
मुखशोषः |
मुँह
का सूखना |
वैवर्ण्यम् |
चेहरे का रंग उड़ना |
वेपथुः |
काँपना/
कॅंपकॅंपी |
हिक्का |
हिचकी |
संमोहः |
बेहोशी, मूर्च्छा |
विषवेगाः |
विष के प्रभाव |
विषविक्रयाः |
विष के विकार |
मुच्यताम् |
छोड़ दें |
उपगम्य |
पास जाकर |
जीवविनिमयम् |
प्राण की अदला बदली |
भूतगणाः |
प्राणिगण |
प्रयान्तु |
जायें |
अभ्यासः
1. अधोलिखितानां प्रश्नानाम्
उत्तराणि एकपदेन लिखत-
क. गणिकायाः नाम किम्?
उत्तर- वसन्तसेना
ख. परिव्राजकस्य शिष्यः कः आसीत्?
उत्तर- शाण्डिल्यः
ग. यमदूतः गणिकायाः जीवं कस्य ष्षरीरे
निद्धाति?
उत्तर- परिव्राजकस्य
घ. परहितनिरता के भवन्तु?
उत्तर- भूतगणाः
2. सन्धिविच्छेदं कुरूत-
यथा- तत्रैव- तत्र+एव
भगवन्नयम्-भगवन्+ अयम्
श्वासश्च – श्वासः+च
खल्वकृतज्ञाः-खलु+अकृतज्ञाः
सप्तैताः- सप्त+एताः
करोतीति- करोति+इति
3. उदाहरणानुसारं
अव्ययपदानि चिनुत-
यथा- राधा अपि नृत्यति।- अपि
क. त्वं कदा गृहं अमिष्यसि। -कदा
ख. अधुना कः समयः। -अधुना
ग. महात्मागान्धी सदा सत्यं वदति स्म। -सदा
घ. अहं श्वः विद्यालयं गमिष्यामि। -श्वः
ड. इदानीं त्वं श्लोकं पठ। -इदानीं
अघोलिखितानि कचनानि कः का, कं कां प्रति कथयाति ?
|
कः/का |
कं/कां प्रति |
(क) मूर्ख वैद्य अलं परिश्रमेण । |
गणिका |
वैद्यम् |
(ख) कुत्र कुत्र रामिलकः |
परिव्राजकः |
शाण्डिल्यम् |
(ग) विषवेगाः शतम् । |
वैद्यः |
गणिकाम् |
(घ) गुलिकाः मया आनीताः । |
वैद्यः |
चेटिम् |
(ङ) इदम् उदकम् ! |
चेटी |
वैद्यम् |
(च) अरे प्रत्यागतप्राणः खलु भगवान् । |
शाण्डिल्यः |
परिव्राजकम् |
विपरीतार्यकाः शब्दाः
लेखनीयाः
गुणाः – दुर्गुणाः / अवगुणाः
स्वीकारः – त्यागः
दक्षिणहस्तः – वामहस्तः
अनन्या – अन्या
कृतज्ञः – कृतघ्नः
अघोलिखितानि पदानि प्रयुज्य
वाक्यानि रचयत।
गुलिकाः (गोलियाँ)
वैद्यः गुलिकाः यच्छति।
कुठारिका (छोटी कुल्हाड़ी)
इयं कुठारिका अस्ति।
क्षिप्रम् (शीघ्र)
सः क्षिप्रं धावति।
यत्नः (प्रयासः)
यत्नः सदा करणीयः।
लोके (संसार में)
लोके सर्वे नन्दन्तु।
उदाहरणानुसारेण पदनिर्माणं
कुरुत-
मूलशब्दाः |
वचनम् |
पदानि |
शिल्पिन् |
प्रथमा/एकवचन |
शिल्पी |
धनिन् |
द्वितीया/एकवचन |
धनिनम् |
ज्ञानिन् |
तृतीया/ एकवचन |
ज्ञानिना |
महत्त्वाकांक्षिन् |
द्वितीया/ बहुवचन |
महत्त्वाकांक्षिणः |
बहुभाषिन् |
तृतीया/ बहुवचन |
बहुभाषिभिः |
दण्डिनः |
द्वितीया/ बहुवचन |
दण्डिन् |
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