Class-6 (रुचिरा) दशमः पाठः - कृषिकाः कर्मवीराः /NCERT book/CBSE Syllabus
दशमः पाठः
कृषिकाः कर्मवीराः
शब्दार्थाः
तपतु |
तपाये, जले |
may burn |
विपुलम् |
अत्यधिक |
in large amount |
कर्मठौ |
निरन्तर क्रियाशील |
active |
सस्वेदम् |
पसीने से युक्त |
full of sweat |
पदत्राणे |
जूते |
shoes |
वसनानि |
कपड़े |
clothes |
जीर्णम् |
पुराना |
Old |
वारयितुम् |
दूर करने में |
in removing |
क्षमम् |
समर्थ |
able |
सस्यपूर्णानि |
फसल से युक्त |
full of crops |
धरित्री |
पृथ्वी |
earth |
कण्टकावृता |
काँटों से
परिपूर्ण |
full of thorns |
क्षुधातृषाकुलौ |
भूख प्यास से
बेचैन |
distressed with hunger and thirst |
अभ्यासः
1- उच्चारणं कुरूत-
सूर्यस्तपतु |
जीर्णम् |
शीतलकोऽपि |
वारयितुम् |
ग्रीष्मे |
सस्यपूर्णानि |
पदत्राणे |
कण्टकावृता |
क्षुधा-तृषाकुलौ |
2- श्लोकांशान् योजयत-
क |
ख |
गृहं जीर्णं न वर्षासु |
तौ तु क्षेत्राणि
कर्षतः। |
हलेन च कुदालेन |
या शुष्का
कण्टकावृता। |
पादयोर्न पदत्राणे
|
सस्यापूर्णानि
सर्वदा। |
तयोः श्रमेण क्षेत्राणि |
शरीरे वसनानि नो।
|
धरित्री सरसा जाता |
वृष्टिं वारयितुं
क्षमम्। |
.
क |
ख |
गृहं जीर्णं न वर्षासु |
वृष्टिं वारयितुं
क्षमम्। |
हलेन च कुदालेन |
तौ तु क्षेत्राणि
कर्षतः। |
पादयोर्न पदत्राणे
|
शरीरे वसनानि नो। |
तयोः श्रमेण क्षेत्राणि |
सस्यापूर्णानि
सर्वदा। |
धरित्री सरसा जाता |
या शुष्का
कण्टकावृता। |
3- उपयुक्तकथनानां समक्षम् ‘आम्’
अनुपयुक्तकथनानां समक्षं ‘न’ इति लिखत-
यथा- कृषकाः शीतकालेऽपि कर्मठाः भवन्ति। (आम्)
कृषकाः हलेन क्षेत्राणि न कर्षन्ति। (न)
क- कृषकाः सर्वेभ्यः
अन्नं यच्छन्ति। (आम्)
ख- कृषकाणां जीवनं
कष्टप्रदं न भवति। (न)
ग- कृषकः क्षेत्राणि
सस्यपूर्णानि करोति। (आम्)
घ- शीते शरीरे कम्पनं
न भवति। (न)
ड- श्रमेण धरित्री
सरसा भवति। (आम्)
4-मंजूषातः पर्यायवाचिपदानि चित्वा लिखत-
रविः, वस्त्राणि, जर्जरम्, अधिकम्, पृथ्वी, पिपासा |
वसनानि - वस्त्राणि
सूर्यः - रविः
तृषा - पिपासा
विपुलम्
- अधिकम्
जीर्णम् - जर्जरम्
धरित्री - पृथ्वी
5- मजूषातः विलोमपदानि चित्वा लिखत-
धनिकम्, नीरसा, अक्षमम्, दुःखम्, शीते, पार्श्वे |
.
सुखम् |
दुःखम् |
दूरे |
पार्श्वे |
निर्धनम् |
धनिकम् |
क्षमम् |
अक्षमम् |
ग्रीष्मे |
शीते |
सरसा |
नीरसा |
6- प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत-
क- कृषकाः केन
क्षेत्राणि कर्षन्ति?
उत्तर- कृषकाः हलेन
क्षेत्राणि कर्षन्ति।
ख- केषां कर्मवीरत्वं
न नष्यति?
उत्तर- कृषिकाणां
कर्मवीरत्वं न नष्यति।
ग- श्रमेण का सरसा
भवति?
उत्तर- श्रमेण धरित्री
सरसा भवति।
घ- कृषकाः सर्वेभ्यः
किं किं यच्छन्ति?
उत्तर- कृषकाः
सर्वेभ्यः शाकं, अन्नं, फलं, दुग्धं
च यच्छन्ति।
ड- कृषकात् दूरे किं
तिष्ठति?
उत्तर- कृषकात् दीर्घ
जीवनं कष्टकं दूरे तिष्ठति।
I
would like to thank Mrs. Manju Gautam for contributing all the chapters of
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