Class-5 Hindi (Rimjhim) पाठ- 5-1 मूस की मज़दूरी / NCERT, CBSE Syllabus
पाठ- 5-1
मूस की मज़दूरी
( नागा लोककथा)
बहुत
समय पहले की बात है।
उस समय आदमी के पास धान नहीं था। सबसे
पहले आदमी ने धान का पौधा एक पोखरी के बीच में देखा। धान
की बालियाँ झूम -
झूमकर जैसे आदमी को
बुला रही थीं। पर
गहरे पानी के कारण धान तक पहुँचना कठिन था।
आदमी
सोचता हुआ खड़ा ही था कि वहीं पर एक मूस दिखलाई पड़ा।आदमी ने मूस को पास बुलाया और
कहा-
मूस
भाई,
पोखरी के बीच में देखो उन्हें धान की
प्यारी बालियों को, झूम-
झूम कर वह मुझे बुला रही हैं लेकिन पानी गहरा है। यदि तुम उन्हें हमारे लिए ला दो,
तो हम तुम्हें मेहनताने का
हिस्सा दे देंगे।
मूस
को भला क्या ऐतराज था। बहुत सर - सर तैर गया और बालियों को दाँतों से
कुतर-कुतर कर किनारे
लाने लगा। थोड़ी- ही देर में किनारे पर धान की
बालियों का ढेर बन गया।
तब
आदमी ने प्रसन्न होकर कहा- मूस भाई, अब इसमें से अपनी मज़दूरी का
हिस्सा तुम स्वयं ले लो।
पर
मूस
ने कहा - भाई मेरे, मैं ठहरा छोटा जीव।
मेरा सिर भी है छोटा।
अपना हिस्सा इस छोटे से सिर पर ढ़ोकर कैसे ले जाऊँगा?
इसलिए अच्छा तो यह होगा कि तुम यह पूरा ध्यान अपने घर ले जाओ और मैं
तुम्हारे घर पर ही आकर अपने हिस्से का थोड़ा-सा धान खा लिया करूँगा। आदमी ने ऐसा
ही किया और तभी से मूस आदमी के घर धान खाता चला आ रहा है। (रामनंदन)
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