Class- 2 Hindi (Rimjhim) बिल्ली कैसे रहने आई मनुष्य के संग
बिल्ली कैसे रहने आई मनुष्य के संग
बिल्ली
अपने मौसेरे भाई शेर के साथ जंगल में एक बड़े महल में रहती थी।
लेकिन
वहाँ वह खुश नहीं थी।
शेर- बहन
बिल्ली- ओह! आई
भैया आई! आ गई।
शेर- मेरे
खाने का वक्त हो गया और तुमने अभी तक पत्तल भी नहीं बिछाई।
बिल्ली- बस, अभी बिछाती हूँ भैया!
बिल्ली
तुरंत केले का पत्ता ले आई और शेर के सामने बिछा दिया।
शेर-
हूँ sss!
आज सुबह मैंने भेड़िया पकड़ा था न, वह क्यों
परोसो।
शेर- अहा! मज़ा आ गया! पेट भर गया बहन। साफ़ कर लो सब।
बिल्ली
-
लो कुछ भी नहीं छोड़ा मेरे लिए। रोज़ यही होता है।
एक
दिन शेर बीमार पड़ा और उसका हाल पूछने बहुत से जानवर आए।
बिल्ली
ने जानवरों का स्वागत करने के लिए हर एक से बात की। लेकिन ठीक तभी-
शेर- बहन! नाश्ता बनाकर सबको दो।
जाओ, जल्दी
करो!
बिल्ली- भैया
घर में आग तो है ही नहीं।
शेर- तो जाओ
आदमियों की बस्ती से सुलगती लकड़ी ले आओ। भागो!
सो
बिल्ली भागी, झाड़ियों और पत्थरों को फलाँगती हुई गाँव में पहुँची।
तभी
गाँव के कुछ बच्चे बिल्ली को देख लेते हैं।
बच्ची
-
डरो नहीं हम तुम्हें कुछ नहीं करेंगे।
बच्ची
( बिल्ली को छूते
हुए) - कितनी मुलायम और रेशमी।
जिस
काम से बिल्ली आई थी,
उसे भूलकर बहुत देर तक बच्चों से लाड करवाती रही।
बिल्ली
सोचने लगी-
मुझे कभी किसी से इतना प्यार नहीं मिला था।
अचानक, ज़ोर की गरज से जंगल काँप उठा-
यह शेर की दहाड़ थी।
बिल्ली
सोचने लगी-
हाय रे! मुझे सुलगती लकड़ी ले जानी थी! मैं भूल कैसे
गई?
बिल्ली
एक घर में घुसी और एक सुलगती लकड़ी उठाकर झाड़ियों और पत्थरों फलाँगती हुई भागी।
अचानक
फिर वही डरावनी गर्जन हुई।
और
काँपती हुई बिल्ली ने शेर को देखा जिसकी आँखें गुस्से से लाल हो उठी थीं। वह इतनी
डर गई कि उसने जलती लकड़ी उसके पैरों के पास गिरा दी....
और
कूदती हुई वापस गाँव भागी।
बच्ची- देखो- बिल्ली वापस आ गई। जरूर शेर ने उसे बुरी तरह डरा दिया है।
बच्चे- हाँ हमारे पास रहो नन्नी मुन्नी।
वापस मत जाओ। नहीं जाओगी न।
और इस तरह से बिल्ली मनुष्य के संग रहने लगी।
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