कहानी - झगड़ालू रंग

 
कहानी
झगड़ालू रंग

शाम का समय था ।  गुनगुन विद्यालय से आकर अपना गृहकार्य कर रही थी।  तभी अचानक उसने कोई शोर सुना ।  उसने इधर-उधर देखा परंतु वहाँ कोई भी नहीं था ।  वह यह देखकर हैरान रह गई कि यह शोर उसके बस्ते में रखें रंगो के डिब्बे में से आ रहा था ।  लाल रंग कह रहा था, " मैं तो रंगों का राजा हूँ  क्योंकि सभी लोगों को लाल रंग अधिक पसंद है ।  सभी प्राणियों के खून का रंग भी लाल होता है ।  सभी को लाल - लाल होंठ और  गाल पसंद हैं।

 यह सुनते ही नीले रंग को गुस्सा आया ।  उसने कहा, " अरे !  शायद तुम यह भूल रहे हो  की नीले रंग की आँखों को ही सुंदर आँखें कहते हैं ।  तो रंगों का राजा तो मुझे होना चाहिए ।

सफ़ेद रंग भी उछलकर कहने लगा, " वाह !  आप तो मुझे भूल ही गए ।  देखो तो ज़रा कि मैं  कितना सुंदर दिखता हूँ ।  मेरा तो जवाब ही नहीं ।  आपको तो पता ही होगा कि मोती जैसे सफ़ेद और चमकीले दाँत  ही मनुष्य की हँसी में चार चाँद लगाते हैं ।"  उनकी बात बीच में ही काटते हुए भूरा रंग बोल पड़ा, " देख",  मैं ही सबसे निराला हूँ ।  अभी कल ही गुनगुन की माँ भी कह रही थी भूरे बाल सभी को अच्छे लगते हैं ।  सरताज तो मुझे ही बनना चाहिए ।"

 तभी गुनगुन को याद आया कि आज उसकी शिक्षिका ने गृह कार्य के लिए माँ का चित्र बनाकर उसमें रंग भरने के लिए कहा है ।  बस !  तो देर किस बात की थी ।  गुनगुन ने फटाफट अपनी माँ का एक सुंदर - सा चित्र बनाया । उसने ब्रश की सहायता से ओंठ और गालों में लाल रंग दिया । बाल भूरे रंग से रँगे। नीले रंग की आँखें और सफ़ेद रंग के दाँतों से उसकी माँ का चित्र अति सुंदर दिखने लगा ।  उसी समय गुनगुन की माँ भी वहाँ आ गई ।

गुनगुन ने रंगों की आपस की तकरार के बारे में माँ को बताया ।  माँ ने सभी रंगों को समझाया " देखो,  तुम सभी रंग अगर इसी तरह से आपस में लड़ते रहोगे तो तुम्हारा नुकसान ही होगा ।  तुम सभी को मिलजुल कर रहना चाहिए क्योंकि सभी रंगों का अपना महत्व है और जब सभी रंग आपस में मिल जाते हैं तो ही दुनिया सतरंगी बनती है । आकाश में निकलने वाले इंद्रधनुष में  एक भी रंग कम होगा  तो क्या वह उतना आकर्षक लगेगा ?  सभी रंगो के कारण ही उसकी शोभा बनती है ।  इसलिए तुम सब आपस में मिल जुल कर रहो।

रंगो को माँ की बात समझ में आ गई ।  उन्होंने  एक - साथ कहा, " बिल्कुल ठीक कहा आपने"   हमें अपनी गलती का एहसास हो गया है ।  आपस में लड़ने से कोई लाभ नहीं है ।फिर सारे रंग खुश होकर खेलने लगे और गुनगुन भी उन्हें एक साथ देख कर खुश हो कर हँसने लगी ।  




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