हिंदी वर्तनी का मानकीकरण
हिंदी
वर्तनी का मानकीकरण
भारतीय संघ तथा कुछ राज्यों की राजभाषा स्वीकृत हो जाने के फलस्वरूप हिंदी का रूप निर्धारित करना बहुत आवश्यक था, ताकि वर्णमाला में सर्वत्र एकरूपता रहे और टाइपराइटर / कंप्यूटर आदि आधुनिक यंत्रों के उपयोग में लिपि की अनेकरूपता बाधक न हो |
भारतीय संघ तथा कुछ राज्यों की राजभाषा स्वीकृत हो जाने के फलस्वरूप हिंदी का रूप निर्धारित करना बहुत आवश्यक था, ताकि वर्णमाला में सर्वत्र एकरूपता रहे और टाइपराइटर / कंप्यूटर आदि आधुनिक यंत्रों के उपयोग में लिपि की अनेकरूपता बाधक न हो |
इन सभी बातों को ध्यान में रखकर भारत सरकार द्वारा स्थापित
विभाग - केंद्रीय हिंदी निदेशालय ने वर्तनी संबंधी समस्याओं के समाधान तथा एकरूपता
की दृष्टि से सराहनीय कार्य किया है |
इनके द्वारा निर्धारित वर्तनी संबंधी अद्यतन नियम इस प्रकार
हैं :
· खड़ी पाई वाले
व्यंजनों का संयुक्त रूप खड़ी पाई (k) को हटाकर ही बनाया जाना चाहिए | जैसे - ख्याति, लग्न , विघ्न , कच्चा , छज्जा , नगण्य , पथ्य, उल्लेख , प्यास, डिब्बा , शय्या , स्वीकृत, सभ्य, श्लोक, व्यास आदि|
· 'क' और 'फ /फ़' के संयुक्ताक्षर पक्का , दफ्तर आदि की तरह
ही बनाए जाएँ|
· ङ, छ, ट, ठ, ड, ढ, द और ह के संयुक्ताक्षर हल् चिह्नलगाकर ही बनाए जाएँ| जैसे - वाङ्ग्मय , लट्टू , बुड्ढ़ा
· संयुक्त 'र' के प्रचलित तीनों रूप यथावत रहेंगे | जैसे : प्रकार, धर्म , राष्ट्र|
· विभक्ति-चिह्न
सभी प्रकार के संज्ञा शब्दों से अलग लिखे जाएँ | जैसे : राम ने, राम को, राम से आदि|
· विभक्ति-चिह्न
सभी सर्वनाम शब्दों से मिलकर लिखे जाएँ | जैसे- उसको, उससे, उसपर आदि |
· सर्वनाम के साथ यदि दो विभक्ति-चिह्न हों तो उनमें से पहला मिलकर और दूसरा
अलग लिखा जाए| जैसे उसके लिए, इसमें से आदि|
· सम्मान हेतु शब्द
'श्री' और 'जी' अव्यय अलग लिखे
जाएँ | जैसे : श्री राघव जी , महात्मा जी आदि |
· समस्त
पदों में प्रति, मात्र, यथा आदि अव्यय
मिलाकर लिखे जाएँगे| जैसे : प्रतिदिन, प्रतिशत, मानवमात्र, यथासमय आदि|
· क्रिया, विशेषण, अव्यय आदि में 'य ', 'व' की जगह इनके स्वरात्मक रूपों का प्रयोग किया जाए | जैसे - नई - नयी , हुआ - हुवा , आए - आये , किए - किये , गए - गये में से
नई , हुआ , आए , किए , गए आदि मानक रूप हैं|
· जहाँ 'य' शब्द का मूल रूप हो वहाँ
वह 'य ' ही रहेगा| जैसे : स्थायी , अव्ययीभाव , दायित्व आदि|
· हिंदी के कुछ
शब्दों के दो रूप बराबर चल रहे हैं | दोनों रूपों की एक-सी
मान्यता है| जैसे : गरदन - गर्दन , गरमी - गर्मी , बरफ़ - बर्फ़ , बिलकुल - बिल्कुल
, सरदी - सर्दी , कुरसी - कुर्सी , भरती - भर्ती , फुरसत - फुर्सत , वापिस - वापस, आखीर - आखिर, बरतन-बर्तन , दोबारा - दुबारा
आदि | इन वैकल्पिक रूपों में से पहले रूप को प्राथमिकता दी जाए|
· पूर्वकालिक
प्रत्यय 'कर' क्रिया से मिलाकर
लिखा जाए| जैसे : मिलकर, खा-पीकर , लिखकर आदि |
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