अनुस्वार का प्रयोग
अनुस्वार
(अं= a ) का
प्रयोग
वर्णों पर अनुस्वार लगाकर पढ़ो
कं खं गं घं
चं छं जं झं
टं ठं डं ढं
तं थं दं धं नं
पं फं बं भं मं
यं रं लं वं सं
क्षं ज्ञं श्रं
मिलाकर पढें
हं + स = हंस
सं + ग = संग
तं + ग = तंग
डं + क = डंक
दां + ग = दांग
बं + द = बंद
ढं + ग = ढंग
भं + ग = भंग
अं + श = अंश
अं + ग = अंग
दं + ग = दंग
जं + ग = जंग
मं + द = मंद
रं + ज = रंज
कं + ठ = कंठ
खं + ड = खंड
यं + त्र = यंत्र
मं + त्र = मंत्र
तं + त्र = तंत्र
जं + त्र = जंत्र
पं + खा = पंखा
शं + का = शंका
लं + का = लंका
डं + का = डंका
दं + ग + ल = दंगल
मं + ग + ल = मंगल
जं + ग + ल = जंगल
कं + ग + न = कंगन
चं + द + न = चंदन
रं + ज + न = रंजन
मं + ज + न = मंजन
अं + ज + न = अंजन
पं + जा + ब = पंजाब
बं + गा + ल = बंगाल
सं + ता + न = संतान
अं + गू + र = अंगूर
सिं + दू + र = सिंदूर
प + सं + द = पसंद
घों + स + ला = घोंसला
झों + प + ड़ी = झोंपड़ी
में + ढ + क = मेंढक
सुं + द + र =
सुंदर
सु + रं + ग = सुरंग
अ + नं + त = अनंत
पढ़ने का अभ्यास करें
रंजन दंगल देखने चल
रंजन उठ | दंगल देखने चल | दंगल देखकर दंग मत हो | संध्या हो गयी | जंगल की तरफ मत
चल |
संध्या हो गयी
मंगला देख संध्या हो गयी | हंस उड़ गए | लंगूर पेड़ों पर आराम कर रहे हैं | पक्षी अपने
घोंसलों में आने लगे | मंदिरों में शंख और घंटी बजने लगी | रंभा ने मंगला को
मोती का कंगन भेंट दिया |
बसंत पंचमी
आज मंगलवार है | आज बसंत पंचमी है | कंस मथुरा का
राजा था | आओ मंदिर चलें | शंकर जी के आगे शीश झुकाओ
| शीश पर चन्दन लगाओ | आओ रंग-बिरंगी आतिशबाजी
देखें |
Comments
Post a Comment