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Grade- 8 रोली (हिन्दी पाठमाला) कबूतरबाज़ी

   मौखिक ( Oral Expression)   1. प्राचीनकाल में कबूतर का उपयोग किसके रूप में किया जाता था ? उत्तर - प्राचीनकाल में कबूतर का उपयोग संदेशवाहक के रूप में किया जाता था।   2. कबूतरों का मोर किसे कहते हैं ? उत्तर - कबूतरों का मोर लक्का को कहते हैं क्योंकि इसकी पूँछ मोर की तरह छतरीनुमा होती है।   3. किस प्रतियोगिता में कबूतरों का मेला-सा लग जाता है ? उत्तर - कुलकुल प्रतियोगिता में कबूतरों का मेला-सा लग जाता है।   4. कबूतरों के चुग्गे के रूप में किसका प्रयोग किया जाता है ? उत्तर - कबूतरों के चुग्गे के रूप में बाजरा , ज्वार , मक्का इत्यादि को प्रयोग में लाया जाता है।   5. कबूतरबाज अपने कबूतर की पहचान के लिए क्या करते हैं ? उत्तर - कबूतरबाज अपने कबूतरों की पहचान के लिए उनके पैरों में लोहे या प्लास्टिक का छल्ला डाल देते हैं।   लिखित ( Written Expression) बहुविकल्पीय प्रश्न ( Multiple Choice Questions) सही उत्तर के सामने सही का निशान () लगाइए- 1. मोर की तरह छतरीनुमा पूँछ किस कबूतर की होती है ? ( क) लक्का की () ( ...

Grade-8, Hindi, हिन्दी पाठमाला, गिरिधर की कुंडलियाँ

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    1)   बिना बिचारे जो करे , सो पाछे पछिताय ।   काम बिगारै आपनो , जग में होत हँसाय ।। जग में होत हँसाय , चित्त में. चैन न पावै। खान-पान सनमान , राग-रंग मनहिं न भावै।। कह गिरिधर कविराय , दुख कछु टरत न टारे।   खटकत है जिय माहिं , कियो जो बिना बिचारे ।। (2)   बीती ताहि बिसारि दे , आगे की सुधि लेइ।   जो बनि आवै सहज में , ताही में चित्त देइ।।   ताही में चित्त देइ , बात जोई बनि आवै।   दुरजन हँसे न कोइ , चित्त में खता न पावै ।।   कह गिरिधर कविराय , यहै करुमन परतीती।   आगे को सुख समुझि हो , बीती सो बीती ।। (3)   दौलत पाय न कीजै , सपने हू अभिमान।   चंचल जल दिन चारि को , ठाउँ न रहत निदान ।।   ठाउँ न रहत निदान , जियत जग में जस लीजै।   मीठे वचन सुनाय , विनय सबही की कीजै ।।   कह गिरिधर कविराय , अरे यह सब घट तौलत।   पाहुन निसि दिन चारि , रहत सबही के दौलत ।। (4)   साईं अपने चित्त की , भूलि न कहिए कोइ। तब लग मन में राखिए , जब लग कारज होइ।। जब लग कारज होइ...